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पाठ : ११ कृदन्त रूप एवं उनके प्रयोग
प्राकृत में कई प्रकार के कृदन्तों का प्रयोग होता है। वर्तमान, भूत, भविष्य, हेत्वर्थ, विध्यर्थ आदि कृदन्तों के रूप विभिन्न प्रत्यय जोड़कर बनाये जाते हैं । कृदन्तों के प्रयोग से वाक्य रचना में सरलता होती है तथा किसी भी भाव या कथन को स्पष्ट रूप में व्यक्त किया जा सकता है ।
पुल्लिंग हसन्तो, हसेन्तो हसमाणो, हसेमाणो
वर्तमान कालिक कृदन्त
एक ही काल में कर्त्ता जब एक साथ दो क्रियाओं को संपन्न करता हो तब वर्तमानकालिक कृदन्त का प्रयोग होता है। प्रथम धातु में 'न्त' और 'माण' जोड़कर क्रिया रूप बनाया जाता है । इन प्रत्ययों के जुड़ने पर धातु के 'अ' का विकल्प से 'ए' हो जाता है । स्त्रीलिंग में 'ई' प्रत्यय जोड़ा जाता है । धातुओं के रूप इस प्रकार बनते हैं
ह्स धातु हंसता हुआ / हुई नपुंसकलिंग
हन्तं हन्तं हसमाणं, हसेमाणं
हो धातु होता हुआ / हुई होतं, होमाणं
स्त्रीलिंग
हसन्ती, हसेन्ती, हस हसमाणी, हसेमाणी, हसेई
होतो, होमाणी
होन्ती, होमाणी, होई
भाववाच्य, कर्मवाच्य, प्रेरणार्थक आदि के प्रत्यय लगाने से वर्तमान कृदन्त के अन्य रूप बनते हैं; यथा-
भण् + इज्ज +न्त–भणिज्जतं = पढ़ा जाता हुआ
भण् + ईअ + माण =भणीअमाणो गंथो = पढ़ा जाता हुआ ग्रन्थ
प्राकृत सीखे : ५४
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