Book Title: Prakrit Sikhe
Author(s): Premsuman Jain
Publisher: Hirabhaiya Prakashan
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धातु-कोश हरिस (प्रसन्न होना), करिस (खींचना), अरिह (पूजना), देक्ख (देखना), पड (पड़ना, गिरना), जव (जाप करना), वेव (काँपना), मज्ज (मद करना), जुज्झ (युद्ध करना, वह (वध करना), कह (कहना), धाव (दौड़ना), बीह (डरना), नम (प्रणाम करना, झुकना), जिण (जीतना), सुण (सुनना), सुमर (स्मरण करना), कुण (करना), वरिस (बरसना), मरिस (क्षमा करना, सहन करना), जेम (भोजन करना), पुच्छ (पूछना), कुप्प (क्रोध करना), तव (तप करना, संताप होना), बोल्ल (बोलना), विज्ज (विद्यमान होना), बोह (जानना), सोह (शोभित होना), लिह (लिखना), लह (प्रा त करना), डह (जलना), चय (त्याग करना), चल (चलना), गच्छ (जाना), नच्च (नाचना), हण (मारना)।
उक्त सब धातुओं के रूप कर +अ+इ>करइ आदि प्रत्यय लगाकर चलेंगे। इन सभी धातुओं में 'अ' विकरण जोड़कर उन्हें स्वरान्त बना लिया जाता है तदनन्तर प्रत्यय लगते है। प्राकृत में मलतः नीचे दी जा रहीं स्वरान्त धातुओं का प्रयोग होता है___दा (देना), झा (ध्यान करना), गा (गाना), धा (दौड़ना), बू (बोलना), णी (ले जाना), ठा (ठहराना), पा (पीना), जा (जाना), खा (खाना), हो (होना), उड्डे (उड़ना) ।
स्वरान्त धातुओं में प्रत्यय लगाने के पूर्व 'अ' विकरण विकल्प से होता है; यथा
दा+ इ + दाइ, हो+इ+होइ, झा+मि>झामि ; दा+अ+ इ>दाअइ, हो+अ+इ>होअइ, झा+अ+ मि>झाअमि (देता है) (होता है) (ध्यान करता है)
वाक्य-प्रयोग मोहणो गच्छइ (मोहन जाता है), सो भणइ (वह पढ़ता है), महावीरो जिणो झाअइ (महावीर जिन ध्यान करते हैं), बुहा पुरिसा वेरं न रक्खन्ति
प्राकृत सीखें : ४०
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