Book Title: Prakrit Sikhe
Author(s): Premsuman Jain
Publisher: Hirabhaiya Prakashan

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Page 30
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बहुवचन AAAAA इसी प्रकार ज (यद्)--जो, क (किम् )----कौन, एत (एतद्)यह आदि के रूप चलगे। सा (तद्)-वह, स्त्रीलिंग, सर्वनाम एकवचन सा तीआ, ताओ तीआ, ताओ तीआ, तीए, णाए ताहि, तीहि तीसे, ताए ताणं, तेसि तीए, ताए तीहितो तिस्सा, तीए ताणं, तेसि तीअ, तीए तीसु, तासु इसी प्रकार जा (यद्)--जो, एआ (एतद्)--यह आदि स्त्रीलिंग सर्वनाम शब्दों के रूप चलेंगे। नपुंसकलिंग सर्वनाम शब्दों में प्रथमा और द्वितीया विभक्तियों में कुछ भिन्नता है; शेष रूप पुल्लिग के समान ही चलते हैं। त (वह) नपुंसकलिंग सर्वनाम शब्द के प्र., द्वि. विभक्तियों में तं, ताई, ताणि रूप होंगे। शेष पुल्लिग के समान हैं। तुम्ह (युष्मद्) एवं अम्ह (अस्मद्) सर्वनामों के रूप तीनों लगों में एक-जैसे होते हैं । वाक्यों में इनका बहुत प्रयोग होता है; अत: इनके रूप नीचे दिये जा रहे हैं। तुम्ह (युष्मद् )-तुम एकवचन बहुवचन तुम , तुं, तुह तुब्भे, तुज्झ, तुम्ह तुम, तुमे तुज्झ, तुम्हे तुमइ, तुमए तुह, तुम्हेहि तुम्हें, तुज्झ, तुह तुमाण, तुहाण प्राकृत सीखें : २९ For Private and Personal Use Only

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