Book Title: Pariksha Mukha
Author(s): Manikyanandiswami, Mohanlal Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 16
________________ ( १० ) बालप्रयोगामास का लक्षाण १११ / कारिसाहाय्याने कार्यकारित्या बालप्रयोगाभास फा दृष्टान्त १११/ मानने से हानि ११८ द्वितीय बालप्रयोगामास १११ / स्वयं असमर्थ पदार्थ के कार्य उल्टे प्रयोग के बालाभासत्वा ११२ कारित्व मानने से हानि ११८ उल्टे प्रयोग के बालप्रयोगा- प्रमाणलाभास का वर्णन ११९ मासत्व में हेतु ११२ । চল কী সুজা ৪ অা प्रागमामास का लक्षण ११३ मित मानने से हानि ११९ प्रागमाभास का उदाहरण ११३ कल्पना से प्रमाण और फल भागमाभास का उदाहरणांतर ११३.1 का व्यवहार मानने आपत्ति ११९ पूर्वोदाहरणों के भागमामा कल्पनामात्र से. फलव्यवहार सत्य में हेतु ११३ न हो सकने में दृष्टांत १२० प्रमाणर ख्यामास का वर्णन ११४ এন্সাল স্মী অক গুল ঈ प्रत्यक्षम के संख्यामासत्व ११४ भेदनिर्णय १२० प्रत्यक्ष संख्याभासत्व का সুমাল বা কলা ৪ অা दृष्टीकरण ११५ भेद मानने में हानि प्रमाणांतर से परबुध्यादिक की सिद्धि का निषेध জুলাই ই প্রজাঙ্গ জীব ११५ সুস্বাক্ষল । নিলয়, পালন तकं द्वारा संख्यामासत्व के का निषेध निराकरण से हानि ११५ स्वपक्ष के साधन पौर उपयुक्त कपन की पुष्टि दूषण की व्यपस्या. १२२ प्रमाणविषयामास का स्वरूप ११७ नयादितत्त्वों के स्वरूप के केवल सामान्यादिक के निर्जय का उपाय १२२ विषयामासत्व में हेतु ११७ / सन्निकर्षा पर संस्कृत निबंर्ष १२२ स्वयं समर्थ पदार्थ के निए- ল বিজয় সুস্থ নিজজ, १२३ पेक्ष कार्यकारित्व- हानि ११० सुत्रकार का पन्तिम व सहा १२४ स्वयं समर्ण पदार्थ के छह- पावश्यक निवन्ध १२४-१४४

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