Book Title: Parichay Patra Author(s): Rupchand Jain Publisher: Antarrashtriya Jain Sammelan View full book textPage 7
________________ (&) प्रकाशन विभाग सम्मेलन के अन्तर्गत एक वृहत प्रकाशन विभाग होगा, जिसमें हिन्दी, इङ्गलिश, संस्कृत, उर्दू, फारसी, बङ्गला, तामिल, गुजराती, जापानी, मराठी, लेटिन, फ्रेंच, जर्मन, चीनी या अमेरिकन आदि भाषाओं की पुस्तकें समय-समय पर प्रकाशित होती रहेगी जिनके द्वारा विश्व भर में जैन तथा अहिंसा धर्म का प्रचार होगा । सम्मेलन का यह विभाग हिन्दी न जानने वाले विश्व के समस्त देशों में भी अपने साहित्य की सहायता से जैन धर्म का प्रचार कर अहिंसा रूपी शान्ति का सन्देश देगा | सम्मेलन के प्रकाशन विभाग द्वारा हमेशा नवीन पुस्तकों का प्रकाशन होता रहेगा । प्राचीन तथा वर्तमान लेखकों द्वारा संग्रहीत सभी पुस्तकों तथा शास्त्रों का भी समयानुसार प्रका शन होता रहेगा । वर्तमान समय को लक्ष्य में रख कर भी अनेक पुस्तकें वर्तमान युग के आधार पर प्रकाशित की जायगी । वर्तमान युग के आधार पर कहानी, उपन्यास नाटक आदि पुस्तकों का भी प्रकाशन किया जायगा जो आनन्द प्रदान करने के साथ ही साथ धार्मिक शिक्षा का भी प्रचार करेगा । अहिंसा विश्वविद्यालय द्वारा प्रस्तावित सभी प्रकार की पुस्तकों का भी प्रकाशन होता रहेगा । इस प्रकार सम्मेलन के प्रकाशन विभाग द्वारा प्रचार कार्य में महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त होगी । सम्मेलन के प्रकाशन विभाग द्वारा 'अहिंसा-सन्देश' नामक पत्रिका का प्रकाशन किया जायगा । जो सम्मेलन के प्रचार कार्य में महत्वपूर्ण योगदान देगा। सम्मेलन आप महानुभावों Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.comPage Navigation
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