Book Title: Parichay Patra
Author(s): Rupchand Jain
Publisher: Antarrashtriya Jain Sammelan

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Page 6
________________ प्रचार-विभाग सम्मेलन के प्रधान कार्यालय कलकत्ता के अन्तर्गत एक सुव्यवस्थित विश्व-व्यापी प्रचार विभाग होगा, जिसके प्रचारक देश-विदेश के भिन्न-भिन्न भागों में जाकर जैन एवं अहिंसा धर्म का प्रचार किया करेंगे तथा सम्मेलन की अहिंसामयी वाणी को विश्व के प्राणीमात्र के पास पहुंचायेंगे। सम्मेलन चाहता है कि जैन समाज देश में फैली हुई रूढ़ियों, कुरीतियों एवं फिजुल खचियों आदि का परित्याग करके देश के अन्दर एक आदर्श उपस्थित करे। क्योंकि सच्चा आदर्श इन्हीं रूढ़ियों एवं कुरीतियों के कारण आज जैन समाज अन्य जातियों एवं धर्मों से बहुत पिछड़ा हुआ है। सम्मेलन अपने प्रचार द्वारा इन कुरीतियों को हटा कर एक सच्चा आदर्शमय वातावरण उपस्थित करेगा। सम्मेलन का लक्ष्य विश्व की जैन तथा अजैन जनता में जैन तथा अहिंसा धर्म के मौलिक सिद्धान्तों का प्रचार करना तथा साधारण जनता में अहिंसा आदि उच्च सिद्धान्तों का प्रचार कर जैन धर्म में दीक्षित होने की भावना जागृत करना है । सम्मेलन जैन धर्म को जीता-जागता भारत का ही नहीं वरन् समस्त विश्व का धर्म देखना चाहता है । एक जैन धर्म ही ऐसा धर्म है जो अपने व्यापक प्रचार द्वारा समस्त विश्व को लड़ाई से उन्मुख कर सच्ची शान्ति स्थापित कर सकता है। इसलिये सम्मेलन अपने प्रचारकों की सहायता से विश्व भर में जैन धर्म का प्रचार कर एक सच्चा वास्तविक धर्म होंने का आदर्श उपस्थित करेगा। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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