Book Title: Parichay Patra
Author(s): Rupchand Jain
Publisher: Antarrashtriya Jain Sammelan

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Page 44
________________ ( 42 ) कीगई है जिनकी संख्या 25 होगी। इसके अतिरिक्त देशके प्रत्येक नागरिक को सार्वजनिक समिति के अधिवेशन में भाग लेने का अधिकार होगा। इस प्रकार के सदस्व देवल अपनी राय हो दे सकेगे, लेकिन मत देने का अधिकार इन सदस्यों को नहीं होगा। कार्य कारिणी समिति का उप-सभापति ही सार्वजनिक समिति का सभापति होगा / उप-सभापति सार्वजनिक समिति के सदस्यों में से ही सभापति की राय से चुना जायगा। सम्मेलन के संस्थापको के अधिकार एवं कर्तव्य - (2) निर्वाचित कार्यकारणी ममिति के कार्यों की समय . समय पर देख भाल करते रहना। (2) निर्वाचित कार्यकारणी समिति को विघटित करने का अधिकार। अगर प्रधान मंत्री एवं सभापति कार्यकारणी समिति के अन्दर फैले हुए भ्रष्टाचार या स्वार्थ की भावनाओं को समाप्त करने में अपने को असमर्थ पायेंगे तथा स्वार्थ की भावना से समाज को किसी प्रकार का नुकसान होगा तो ऐसी हालत में संस्थापकों की ओर से कार्यकारिणी समिति को विघटित किया जा सकेगा। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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