Book Title: Parichay Patra Author(s): Rupchand Jain Publisher: Antarrashtriya Jain Sammelan View full book textPage 8
________________ ६) आशा करता है कि जैन समाज की जटिल समस्याओं को मत करने के लिए इस पत्र की सहायता करते रहेंगे । यह पत्र जैन समाज का सुधारक पत्र होगा तथा अनेक भाषाओं में प्रकाशित किया जायगा । यह पत्र बीसवीं शताब्दी में धर्म प्रचार, समाज सुधार, शासन सुधार तथा शिक्षा प्रसार के कार्य में अधिक सहयोग प्रदान करेगा तथा सम्मेलन को दिनप्रतिदिन शक्ति प्रदान करता रहेगा। जिस वेग के साथ आज देश आगे बढ़ रहा है, हमें भी उसी तरह से ही अपने सामाजिक, धार्मिक, शिक्षा सम्बन्धी तथा सांस्कृतिक कार्यों को आगे बढ़ाना होगा | हमारा प्रमुख उद्देश्म यही होना चाहिये कि हम जहां तक हो सके इस संस्था के कार्यों में भाग लेकर समाज तथा धर्म की रक्षा करें। यह संस्था जैन समाज की ही संस्था है । इसलिये हम लोगों को सारे समाज का सहयोग मिलना चाहिये तब ही हम इस सम्मेलन के उद्देश्यों में सफल हो सकेंगे। F सम्मेलन के अन्तर्गत एक वृहत छापाखाना होगा, जिसमें सामाजिक, धार्मिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक भौगोलिक तथा शिक्षा सम्बन्धी सभी प्रकार की पुस्तकों को छापा जायेगा । सम्मेलन से सम्बन्धित सभी विभागों के छपाई के कार्य को भी छापेगा तथा विश्व में जैन तथा अहिंसा का प्रचार करने के लिये 'अहिंसा-सन्देश' तथा साथ ही छोटे-छोटे ट्रैक्टों को भी प्रकाशित करेगा । इस छापाखाने द्वारा शास्त्र, स्कूली पुस्तकें तथा अन्य प्रकार की पुस्तकों का भी प्रकाशन किया जायेगा । इसलिये इस छापाखाने के लिए किमती मशोंनों का Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.comPage Navigation
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