Book Title: Parichay Patra
Author(s): Rupchand Jain
Publisher: Antarrashtriya Jain Sammelan

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Page 14
________________ . ( १२ ) संगीत - विभाग सम्मेलन के अन्तर्गत एक बृहत सङ्गीत विभाग होगा । इसमें सङ्गीत, नाटक, सिनेमा- फिल्म आदि होंगे जिनकी सहायता से धर्म का प्रचार किया जायेगा । सङ्गीत विभाग प्रत्येक धार्मिक उत्सवों पर अपने सदस्यों की सहायता से सङ्गीत, नाटक आदि का प्रदर्शन करता रहेगा । सङ्गीत विभाग के अन्तर्गत एक नाट्य विभाग होगा, जिसके सदस्य केवल विद्यार्थी ही हो सकेंगे। छात्र की अवस्था अठारह वर्ष तथा छात्रा (बालिका) की अवस्था पन्द्रह वर्ष होगी। इससे अधिक अवस्था वाले किसी भी बालक या बालिका को नाट्य विभाग का सदस्य नहीं बनाया जायेगा । सङ्गीत विभाग के वास्ते सभी स्त्री-पुरुष भाग ले सकेंगे। इसमें अवस्था का प्रतिबन्ध नहीं होगा । हमारे सम्मेलन का उद्देश्य है कि समाज के अन्दर एक ऐसी सङ्गीत मण्डली तैयार की जाय, जो अपने सङ्गीत द्वारा कठोर से कठोर हृदय को पिघला कर भी उसके अन्दर धार्मिक भावना उत्पन्न करे। इस विभाग की सफलता समाज की सफलता समझी जायेगी। इस विभाग की सहायता से हम देश के मानवमात्र के अन्दर धार्मिक भावनाओं का उदय कर सकते हैं। पुरातत्व विभाग सम्मेलन के अन्तर्गत एक बृहत पुरातत्व विभाग होगा । इस विभाग का कर्तव्य होगा कि प्राकृर तथा संस्कृत या अन्य शास्त्रों का पता लगाना, अप्रकाशित शास्त्रों का पता T Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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