Book Title: Parichay Patra
Author(s): Rupchand Jain
Publisher: Antarrashtriya Jain Sammelan

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Page 22
________________ ( २०) (१३) सेवा मंत्री (१४) उप-सेवा मंत्री (१५) शासन मंत्री (१६) उप-शासन मंत्री (१७) संगीत मंत्री (१८) उप-संगीत मंत्री उपरोक्त विभागों का सञ्चालन अलग-अलग सदस्यों द्वारा होगा केवल प्रधान मन्त्री ही समस्त विभागों का सञ्चालन कर सकेंगे। इसके अतिरिक्त सभी विभाग के पदाधिकारियों के कार्य एवं निर्वाचन निम्नलिखित प्रकार से होगें। सभापति एवं उप-सभापति (१६) पुरातत्व मंत्री (२०) उप- पुरातत्व मंत्री (२१) सञ्चालन मंत्री (२२) उप-संचालन मंत्री (२३) अर्थ मंत्री (२४) उप- अर्थ मंत्री निर्वाचनः सम्मेलन के नियमानुसार कार्यकारिण समिति का प्रधान सभापति होगा । उसका निर्वाचन कार्यकारिणी समिति की सलाह से प्रधान मन्त्री द्वारा किया जायगा । मतभेद होने पर प्रधान मन्त्री का निर्णय ही मान्य होगा । सभापति या उप-सभापति बनने के लिए उन्हीं योग्यताओं की आवश्यकता है जो सम्मेलन के द्वारा निश्चित की गयी है । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat पद त्यागः -- सभापति अपने पद ग्रहण की तिथि से लेकर पाँच वर्ष की अवधि तक अपने पद पर बना रहेगा और तब तक अपने कार्य भार से मुक्त न होगा जब तक कोई निर्वाचित सभापति कार्य भार न ग्रहण कर ले। परन्तु इसी बीच वह किसी कारण वश पद त्याग करना चाहे तो अपने हस्ताक्षर www.umaragyanbhandar.com

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