Book Title: Parichay Patra
Author(s): Rupchand Jain
Publisher: Antarrashtriya Jain Sammelan

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Page 17
________________ बन सकेगा। प्रत्येक बार्षिक सदस्यके निवास स्थान पर समाचार पत्र भेजा जायगा तथा वह सम्मेलन से सम्बन्धित सभी पुस्तकालयों का उपयोग कर सकेगा। आजीवन या स्थायी सदस्य-प्रत्येक प्रतिष्ठित व्यक्ति, जो सम्मेलनको५०१), १००१)या ५००१)रुपया दानस्वरूप प्रदान कर सहायता करेंगे तथा भविष्य में भी सहायता करते रहेंगे, इस सम्मेलन के आजीवन या स्थायी सदस्य बनाये जायेंगे। आजीवन या स्थायी सदस्यों को समाचार-पत्र, पुस्तकालय आदि का उपयोग करने का अधिकार होगा। माननीय सदस्य-आजीवन या स्थायी सदस्यों में से सात को माननीय सदस्य चुना जायेगा। इनका चुनाव कार्यकारिणी समिति के उपस्थित सदस्यों में से तीन चौथाई सदस्यों की अनुमति होने पर ही किया जा सकेगा। माननीय सदस्यता निःशुल्क होगी। सम्मेलन की दोनों समितियों के अधिवेशन में माननीय सदस्यों को जानेका अधिकार होगा। लेकिन वे सिर्फ अपनी राय ही प्रगट कर सकेंगे ।मत विभाजनमें उनको भाग लेने का कोई भी अधिकार नहीं होगा । सभापति व प्रधान मन्त्री के अधिवेशन का आयोजन नहीं करने पर कार्यकारिणी समिति के बारह सदस्यों की राय पर तीन माननीय सदस्य अपने तथा बारह सदस्यों के हस्ताक्षर सहित कार्यकारिणी समिति की मिटिंग बुला सकेंगे। सम्मेलन की भलाई के लिये माननीय सदस्य को विशेषाधिकार प्राप्त होगा। लेकिन सम्मेलनके नियम Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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