Book Title: Panch Pratikraman Sutra
Author(s): Siddhachal Kalyan Bhuvan tatha Surat,
Publisher: Siddhachal Kalyan Bhuvan tatha SUrat Nava Upasarana Aradhak
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राइपडि- जयउ सामिय' से लेके 'आभवमखंडा' मुधि 'जय वीयराय ! तक करे,खमा०देके 'इच्छा संदि० भग० ! कुसुमिण दुस्मुमिण ओहडावणत्य कमण राइयपायच्छित्त विसोहणत्थं काउस्सग करूं!. इच्छं कुमुमिण दुस्मुमिण ओहडाव०विसोहणत्थं करेमि काउस्सगं.अन्नत्थ०' कहके १६नवकार विधि या ४ लोगस्सका काउस्सग्ग करे, उपर लोगस्स कहे, एक एक खमासमणेसे आचार्यआदि ४ कुं वांदके "सव्वस्स वि राइय" मूत्रसे
पडिक्कमणा ठायके नमुत्थुणं करेमि भंते !०इच्छामि ठामि काउस्सग्गं जो मे राइओ०तस्स उत्तरि० अन्नत्थ० कहके चारित्रशुद्धि निमित्त ४ नवकार या? लोगस्सका काउस्सग्ग करे.पारके दर्शन शुद्धिनिमित्त प्रगट लोगस्स सव्वलोए अरिहंत चेइयाणं० बंदणवत्तिआए० अन्नत्थ.
कहके ४ नवकार वा १ लोगस्सका काउस्सग्ग करे, पारके ज्ञानाचार शुद्धिनिमित्त पुख्खरवरदी० सुअस्स भगवओ करेमि काउस्सगं जवंदणवत्तिआए० अन्नत्थकहके ८ नवकारका काउस्सग्ग करे या "आजुना चार प्रहर रात्रिमांहि जे मे जीवविराध्या होय सात लाख०" 5 इत्यादि चिंतवे, काउस्सग्ग पारके सिद्धाणं बुद्धाणं० कहके मुहपत्ती पडिलेही वांदणे दो देवे, पीछे 'इच्छाकारेण संदिसह भगवन् !
राईयं आलोऊ?' गुरु कहे 'आलोएह' बाद 'इच्छं आलोएमि जो मे राइओ०' कहके 'आजना चार प्रहर रात्रिमें जे मे जीव विराध्या होय सात लाख पृथिवीकाय! अढारे पापस्थानक आलोऊ ! इच्छं पहले प्राणातिपात० ज्ञानदर्शन चारित्र पाटीपोथी०' बोलके 'सव्वस्स वि राइय०' कहके श्रावक सूत्र आदेश लेके बैठके ३ नवकार ३ करेमि भंते !०,(साधुको चत्तारि मंगलं०)इच्छामि पडिक्कमिउं जो मे राइओ.
(साधुको इच्छामि पडिक्कमिउं इरियावहियाए० इच्छामि पडिक्कमिडं पगामसिज्जाए०) वंदित्तु० बोले दो वांदणे अभ्भुठिया दो वांदणे आय5 रिय उवज्झाए करेमि भंते ! इच्छामि ठामि काउस्सग्गं जो मे राइओ० तस्स उत्तरि० अन्नत्थ० छमासी तपचितवन वा छ लोगस्स का उस्सग्ग
प्रगट लोगस्स० मुहपत्ति पडिलेहके दो वांदणे सद्भक्त्या देवलोके० नवकारसी आदि पच्चख्खाण करके परसमयतिमिरतरणिं० नमुत्थुणं. अरिहंतचेइयाणं चार थुइए देववंदन नमुत्थुणं० खमासमणे ३से आचार्यमिश्र आदि वंदन श्रीसीमंधर तथा श्रीसिद्धाचल चैत्यवंदनादि करे।
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विधिपत्र
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