Book Title: Panch Pratikraman Sutra
Author(s): Siddhachal Kalyan Bhuvan tatha Surat,
Publisher: Siddhachal Kalyan Bhuvan tatha SUrat Nava Upasarana Aradhak
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गुण्यो, सूत्रार्थ - तदुभय कूडां कह्यां, काजो अणनद्धर्यो', दांडो अणपडिलेह्यां वसति अणसोध्यां . अणपवेयां. असज्झाय'. अणोज्झाय. कालवेलामांहि' श्रीदशवैकालिक प्रमुख सिद्धांत पढ्यो, गुण्यो. परावयों, अविधे योगोपधान कीधां. कराव्यां, ज्ञानोपगरण-पाटी. पोथी. ठवणी. कवली. नोकारवाली 'सांपडा'. सांपडी. दस्तरी. वही. कागलिया. ओलिया प्रते पग लाग्यो. थुंक लाग्यो. थुंके करी अक्षर भज्यो, कन्हे छते आहार नीहार कीधो, ज्ञानवंत प्रते प्रद्वेष मच्छर वह्यो, अंतराय अवज्ञा आशातना कधी, कुणहि प्रते तोतलो. बोबडो देखी हस्यो वितर्यो, मतिज्ञान. श्रुतज्ञान. अवधिज्ञान. मनः पर्यवज्ञान. केवलज्ञान. ए पांच ज्ञान तणी आशातना' कीधी, ज्ञानाचार विषइओ अनेरो ० |२|
दर्शनाचारे आठ अतिचार- निस्संकिय निक्कंखिअ, निव्वितिगिच्छा अमूढ दिट्ठी अ । नववूह
१. निकाला नहीं. योग्य भूमी में परठा नहीं । २ पडिलेहणके बाद उपासरेके चारों तरफ सौ सौ हाथ तककी भूमी देखे और देखने में आये हुए हड्डि कलेवरादि उतनी प भृभिर्मेसे हटवादे, इसतरह वसति शोधेविना । ३ पडिलेहण के पीछेकी इरियाबही करे बाद समा० देके 'इच्छा० संदि० भग०! वसति पदेउ' इच्छं इच्छामि खमा० ॥ १२६॥ 'भगवन्! सुद्धा वसहि' ये दो आदेश मांगे विना । ४ धूल. लोहि धूअर आदिकी वर्षा तथा ग्रहण होना, तारा तूटना, अकाले बिजली गजरव होना आदि । ५ पढने आदिके लिये निषेवी हुइ चार कालवेला सांझ सवेर मध्यरात्रि तथा मध्यदिन । ६ पुस्तक रखनेकी वडी ठवणी । ७ मस्करीसे हसा हो । ८ असद्दणा (सत्य नहीं मानने) रूप
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