Book Title: Panch Pratikraman Sutra
Author(s): Siddhachal Kalyan Bhuvan tatha Surat, 
Publisher: Siddhachal Kalyan Bhuvan tatha SUrat Nava Upasarana Aradhak

View full book text
Previous | Next

Page 142
________________ 15555555555555555 वनस्पतिकाय-नीलफल' सेवाल थड मूल फल फूल वृक्ष शाखा प्रशाखा तणा संघट्टा परंपर निरंतर हुआ। त्रसकाय-बेइंद्री तेइंदी चनरिंद्री पंचेंद्री काग बग चग नडाव्या, ढोर त्रासव्या, डांडो देखाडी वालका बीहाव्या, षटकाय विषइओ अनेरो जे कोइ०।६। __ अकल्पनीय सिज्जा वस्त्र पात्र पिंड परिभोगव्यो, सिज्जातर तणो पिंड परिभोगव्यो, नपयोग कीधा पाखे''वहोर्यो, धात्रीदोष"त्रस बीज संसक्त' पूर्वकर्मपश्चात्कर्म"नद्गम"नत्पादना दोष चिंतव्या नहीं। गृहस्थ तणो भाजन भांज्यो फोड्यो.वली पाछो आप्यो नहीं। सूतां संथारिया नत्तर पट्टा ढलता रह्या। अधिको नपगरण वावर्यो । देशतः स्नान मुखे भीनो हाथ लगाड्यो, सर्वतः स्नान तणी वांछ कीधी, शरीर तणो मल फेड्यो केश रोम नख समार्या, अनेरी कांइ राढी 35555555555555555555555 वर्षासे भीजती हुइ भीत उपर या अगासी आदि हरााक चीज उपर जमी हुइनील,जो पांचोंही रंगकी होती है। २ तलाव अथवा नदीके पड़े हुए पाणी उपर जमी हुइ नील, जो जाडी दलदार होनेसे सूखनेपर कपडे जैसी हो जाता है। ३ मोटी डाल। ४ छोटी डालियां। जिस चीज, बनस्पति पड़ी हो उस चीजका या वृक्षआदिक वनस्पतिको अडेहुए मनुष्य आदिका। खास बनस्पतिका । ७ उपासग ८ आहार-पाणी। ९ उपयोग काउस्सग्ग,या बहोरते समय शुद्धाशुद्धकी तरफ खयाल । १०विना। 11 बनोको रमाना खेलाना आदि। १२ सहित या अडाहुआ। १३ वहरानेके लिये करे पाणीसे हाथ आदि धोना। 1४ बहराये बाद कचे पाणीसे हाथआदि धोना । 1- आधाकर्मी-उद्देशिकादि १६ दोष। १६ धात्री-दूतीआदि १६ दोष । १७ आगे-पाछे रहा, संधारियेके उपर वरावर उतरपा नहीं आया । १८ मेल उतारा । For Personal Private Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192