Book Title: Panch Pratikraman Sutra
Author(s): Siddhachal Kalyan Bhuvan tatha Surat,
Publisher: Siddhachal Kalyan Bhuvan tatha SUrat Nava Upasarana Aradhak
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त्याग किये, पापकर्मवाला, दिनमें, चाहे, रात्रि में, अथवा, एकव्यहो, चाहे, पर्पदा में रहा हो, चाहे, मृताहो, चाहे, जागता हुआ हो (तोभी), यह, पच्चख्खाय, पावक्कम्मे, दिआ बा, राओ, वा, एगओ, वा, परिसा, गओ, वा, सुत्ते वा, जागरमाणे वा, एस. निश्चय, प्राणातिपातका, रोकना, हित है, मुख है, क्षम(योग्य) है निःश्रेयसकर, आनुगामिक है, पारगामिक है, सब, "प्राणीओंको, खलु, “पाणाइवायस्स, वेरमणे,हिए, सुहे, खमे, निस्सेसिए, आणुगामिए, पारगामिए, सव्वेसिं, पाणाणं. सर्व. (एकेंद्रिय) भूतों को, सब जीवोंको, सब को नहीं दुःख देकरके, नहीं शोक पैदा करके, नही जीर्ण करके, सव्वेसिं. भूयाणं, सव्वेसिं, जीवाणं, सव्वेसिं, सत्ताणं, अदुख्खणयाए, असोयणयाए, अजूरणयाए, नहीं आं निकला, नहीं पीडा करके नहीं चौतरफ से ताप करके नहीं उपद्रव ( तकलीफ) करके, मोटे अर्थवाला, मोटे गुणवाला, मोटे प्रभाववाला
अतिष्पणयाए, अपीडणयाए, अपरियावणयाए, अणुद्दवणयाए, महत्थे, महागुणे, महाणुभावे,
पुरुषों से मोटे ऋषि का कहा हुआ, प्रशस्त (शुभ) है, वह दुःखक्षय के लिये, कर्मक्षय के लिये मोक्षप्राप्तिकेलिये, बोधिमहापुरिसाऽणुचिन्ने, पर मरिसि देसिए, पसत्थे, तं, दुख्खखखयाए कम्मख्खयाए, मोख्खयाए, बोहि
१ साधु समुदाय । २ मोक्षका हेतु है ३ भवांतर सुखदा ४ उत्तम नर और असं वर्ष के आयुवाले मनुष्य तथा विच प्रहारसे या भूख अशक मारपीट आदिसे तीर्थंकरादि
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भवने पार लेजानेवाला ५ पंचद्रिय अथवा बेदी ने चरिद्री ६ चार गतिके, देवता- नारकी७ लोक उपकारके हेतुभूत सत्य (शक्ति) वंत अथवा सोपक्रमी आयुषवाले मनुध्यादि । ८ लकडी आदिके १० आवरित ११ प्राणातिपात विरमण त
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