Book Title: Panch Pratikraman Sutra
Author(s): Siddhachal Kalyan Bhuvan tatha Surat, 
Publisher: Siddhachal Kalyan Bhuvan tatha SUrat Nava Upasarana Aradhak

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Page 166
________________ 135555555555फफफफफफफफ चारित्रकुं। नहीं विराधके, रहाहुआ, श्रमण धर्ममें। पहले, (महा)व्रतकुं,बराबर रखता हूं । विरत होताहूं२, प्राणातिपात(हिंसा)से । ॐ चरित्ते। अविराहित्ता.'ठिओ, समणधम्मे॥ पढम, वय, मऽणुरक्खे। विरयामो, पाणाइवायाओ ॥८॥ की सण नाण चरित्ते, अविराहित्ता ठिओ समणधम्मे। बीयं (दूसरे) वयमऽणुरख्खे, विरयामो मुसा वायाओ (मृपावादसे ) ॥९॥दसण नाण चरित्ते,अविरहित्ता ठिओ समणधम्मे। तइयं (सीसरे)वयमऽणुरख्खे,विरयामो अदिन्नादाणाओ(अदत्तादानसे)।१०।दसण नाण चरित्ते,अविराहित्ता ठिओ समणधम्मे। चनत्थं (चोथे) वयमणुरक्खे.विरयामो मेहुणाओ( मैथुनसे ॥११॥दसण नाण चरित्ते,अविराहित्ता ठिओ समणधम्मे। पंचमं (पांच) वयमणुरख्खे, विरयामो परिग्गहाओ (परिग्रहसे) ।१२॥दसण नाण चरित्ते, अविराहित्ता ठिओ समणधम्मे। छठं (छठे)वयमणुरक्खे, विरयामो राईभोअणाओ (रात्रिभोजनसे )।१३। आलय (मकान )विहार समिओ(समिति सहित), जुत्तो गुत्तो ठिओ समणधम्मे । पढमं वयमणुरक्खे, 5॥१५॥ 'विरयामो 'पाणाइवायाओ।१४। आलय विहार समिओ,जुत्तो गुत्तो ठिओ समणधम्मे। बीयं निवर्तताहूं। ३ आधाकर्मादि दोष तथास्त्री आदिके संसर्ग रहित उपाश्रय सेवताहुआ ! - मासकल्पादि क्रमसे बिहार करताहुआ। * (मुनिके गुण युक्त । : (तीनों गुप्तियोम )गुप्त-रक्षित। 155555555555554455454 For Personal Private Use Only

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