Book Title: Panch Pratikraman Sutra
Author(s): Siddhachal Kalyan Bhuvan tatha Surat,
Publisher: Siddhachal Kalyan Bhuvan tatha SUrat Nava Upasarana Aradhak
View full book text ________________
5小于55555555555555%
उसकारणसे, केवाते हैं,साधु(साध्वी)।। ऐसा,बोलताहूं। किसतरह,शंकाहोतीदेफिकरे (पाले गा,साधुपणा। जो,कामभोगों,नहीं,
तेण, वुचंति, साहुणो ॥५॥ त्ति, बेमि। कहं, नु, "कुज्जा, सामण्णं। जो, कामे, न, निबारे(रोके) है (वो)। पगले,पगले, विखवाद पामता। संकल्परके, बशहुआ ।। वस्त्र, सुगंध, अलंकार । स्त्रीयां, संथारिया(आदि),
निवारए॥ पए, पए,विसीयंतो।संकप्पस्स,वसंगओ॥२॥वत्थ,गंध,मलंकारं । इथिओ, सयणाणि,
और । स्वाधीन नहीं(ऐसे),जो, नहीं, भोगवतेहैं। नहीं, वह, त्यागीहै,ऐसा, कहाताहै ।२। जो, फेर, मनोहर, पिय, भोगोकुं । मिलनेपर, जय॥ 'अच्छंदा, "जे, न, भुंजति।"न, से, चाइ, ति, वुच्चइ॥२॥'जे, य, कंते, पिए, भोए। लखे, अनेक तरह पूंठ,कर(त्याग)ताहै । स्वाधीन रहे,त्यागताहै,भोगोंकुं। वह,निश्चय त्यागीहै,ऐसा,कहाताहै।३।३समान, दृष्टिसे,संजममें चलते(साधुका)।
विपिठि, कुवइ ॥ साहीणे, चयइ, भोए। से, हु. चाइ.त्ति,वुच्चा३'समाइ,पेहाइ, परिव्ययंतो। | कदाच, मन, निकले (तो), संजमसेवाहर । नहीं है,वा(स्रो), मेरी, नहींहूं, मैं, भो,उस(सी)का इसतरह,उन(स्त्रीयों)से, निकालदेवे,
सिया, मणो, निस्सरइ. बहिरा ॥ "न, 'सा, महं, नोवि,अहं.पि. तीसे । इच्चेव, ताओ, "विणइज, (मनके)रागकुं।४। आतापना ले. त्याग, मुकुशलपणा। कानभोगोंकुं,उलंघ(तो), उहंघात निश्चय, दुःखकुं। छेद(नाश कर), द्वेष,
'रागं ।४। आयावयाहि, चय.सोगमल्लं । “कामे, कमाहि, कमियं. "खु. दुख्खं । छिंदाहि. "दोसं, 1 में सुधर्मास्वामी । २ खराब विचार । ३ स्व परके उपर ।
9554455555555555555591
१७२||
Jain Education n
ational
For Personal Private Use Only
www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192