Book Title: Panch Pratikraman Sutra
Author(s): Siddhachal Kalyan Bhuvan tatha Surat,
Publisher: Siddhachal Kalyan Bhuvan tatha SUrat Nava Upasarana Aradhak
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निस्तरूं(पार होऊंगा,ऐसाकरके, शिरसे, मनसे, मस्तकनमाके, वांदताहूं। गुरु कहे-निस्तारनेवाले,(भवसे)पारगामी,(तुम)हो। नित्थरिस्सामि.त्तिक,सिरसा,मणसा,मत्थएण,वंदामि।४। नित्थारग, पारगा, होह।
धर्म, मंगल है,उत्कृष्ट उत्तम । जीवदया, संजम, तप(ये)। देवता, पण,उसकुं,नमस्कार करे है । जिसया, धर्यमें है, सदा, मंगल धम्मो, मंगल, मुक्तिछं। अहिंसा,संजमो,तवो॥ देवा.वि, 'तं,'नमंसंति। जस्स, धम्भे, सया, दशका
न । जैसे, झाडके, फूलोंमें। भमरा,थोडा थोडा पीताहै, रसकुं। नहीं,फेर, फूलकुं,किलायणा(पीडा)करे। वह, और, IMEमणो॥२॥'जहा, दुमस्स,पुप्फेसु। भमरो, "आविअइ. रसं ॥'न, य, पुप्फं, 'फिलामेइ । सो, य. तीन तृप्त करेहै, आत्माकुं ।। इसपकार,ये, तपस्वी, निर्लोभी । जो, लोक, हैं (३), साधु साध्वी। भमरेकीतरह, फूलों में। दीयेहुए,
पीणेइ. अप्पयं॥२॥'एमे,ए, 'समणा,'मुत्ता।जे, लोए, “संति, साहुणो ॥ विहंगमाव, पुप्फेसु। दाण, आहारकी,तलाशीमें,रक्त(राजी)रहेहै।शरहम,फेर,आहारआदि, लेवेंगे। नहीं,और,कोइ जीव,हणाय(पैसे)। जैसाकिया उसमें,विचरे (वते)हैं। भत्ते, सणे, रया ॥३॥वयं,'च, वित्तिं,लाभामो। 'न, य, कोइ. नवहम्मइ॥ अहागडेसु, रीयंते। फलोंमें, भमरे, जैसे ।। भमरेके, सपान, "मुनि। जो,होते हैं (वे), निश्रा रहित। जुदे जुदे, आहारमें, रक्त, दांत ।
पुप्फेसु.भमरा, जहा ॥४॥महुगार,समा.बुद्धा। जे. भवंति,अणिस्सिया ॥ नाणा, पिंड, रया,दंता । ज जीवोंको भवसेतारनेवाले, या अपनी प्रतिज्ञा निभानेवाले २ शिष्य प्रतिज्ञा करते हैं । ३गृहस्थने अपने वास्ते । ४ तत्वके जाण । ५ कुलादिके प्रतिबंध । ६ घरोके निर्दोषी !x लोलुपतारहित।
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