Book Title: Panch Pratikraman Sutra
Author(s): Siddhachal Kalyan Bhuvan tatha Surat,
Publisher: Siddhachal Kalyan Bhuvan tatha SUrat Nava Upasarana Aradhak
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फलाभके लिये,संसारसे उतारनेकेलिये(होगा),ऐसा करके१, (इसवतक) अंगीकार करके,विचर(वर्त)ताहूं। पहेले, हे भगवन् !, महाव्रतमें,
लाभाए, संसारु तारणाए, त्ति कटु, नवसंपज्जित्ताणं, विहरामि । पढमे, भंते !.३ 'महव्वए, उपस्थित(पाप्त)ह, सवतरहके, पाणातिपात(हिंसा)से.विरमण(निवृत्ति) है ।। नवठिओमि,सव्वाओ, पाणाइवायाओ, वेरमणं ॥२॥
अब, अन्य, दूसरे, हेभगवन् !, महाव्रतमें, मृपावाद (झंट)से.विरमणा है । सवतरहके,हे भगवन् !, मृपावादकुं,त्यागताहूं, वह(झंट),
अहा, ऽवरे,दोच्चे, भंते !, महव्वए.मुसावायाओ,वेरमणं । 'सव्वं, भंते !. मुसावायं,पञ्चख्खामि,से. क्रोधमे, या, लोभसे, वा,डरसे,या,हँसी(मस्करी)से,नहींज, स्वयं,मृपा, बोलं, नहींज,दूसरोंसे.मृपा, बोलाऊ. मृपा,बोलतेहुएभी,अन्योकु.। कोहा,वा,लोहा,वा,भया,वा. हासा वा,नेव,सयं,मुसं.वएज्जा,नेव,ऽन्नहिं,मुसं.वायावेजा,मुसं.वयंतेवि,अन्ने.
न समणुजाणामि जावज्जीवाए तिविहं तिविहेणं मणेणं वायाए काएणं न करेमि न कारवेमि * करतं पि अन्नं न समणुजाणामि तस्स भंते ! ' पडिकमामि निंदामि गरिहामि अप्पाणं वोसिरामि।
से मुसावाए चनविहे पन्नत्ते.तंजहा-दव्वओ खित्तओ कालओ भावओ.दव्वओणं मुसावाए ॥१३॥ १ इसवास्ते। २ अबसे में। x मृषावाद (झूट बोलना) ।
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