Book Title: Panch Pratikraman Sutra
Author(s): Siddhachal Kalyan Bhuvan tatha Surat,
Publisher: Siddhachal Kalyan Bhuvan tatha SUrat Nava Upasarana Aradhak
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है अदिन्नादाणे रागेण वा दोसेण वा. जंपिय मए इमस्तधम्मस्स कवाल पन्नत्तस्स आहसा ल०के णस्स सच्चाऽहिछियस्स विगय मूलस्स खंतिप्पहाणस्स अहिरण्णसोवण्णिअस्स नवसमप्पभवस्स
नव बंभचेर गुत्तस्स अपयमाणस्स भिख्खा वित्तिअस्स कुख्खी संबलस्स निरग्गिसरणस्स संप| ख्वालियस्त चत्तदोसस्स गुणग्गाहियस्स निव्वियारस्स निवित्ति लख्खणस्सपंचमहब्वयजुत्तस्स असंनिहि संचयस्स अविसंवाइयस्स संसारपार गामियस्स निव्वाणगमण पज्जवसाण फलस्स पुट्विं
अण्णाणयाए असवणयाए अबोहियाए अणऽभिगमेणं अभिगमेण वा पमाएणं रागदोस पडिबद्धयाए | बालयाए मोहयाए मंदयाए किड्डयाए तिगारव गरुयाए चनक्कसाओवगएणं पंचिंदिओवसऽटेणं म पडिपुन्न भारिपाए सायासोख्वमणु पालयंतेणं इहं वा भवे अन्नेसु वा भवग्गहणेसु अदिन्नादाणं
गहियं (ग्रहण किया हो) वा गाहावियं (यहण कराया हो) वा धिप्पंतं (ग्रहण किये जातेकुं) वा परोहिं समऽणुन्नायं, (अनुमोदाहो) तं निंदामि गरिहामि तिविहं तिविहेणं मणेणं वायाए काएणं अईयं निंदामि पडुप्पन्नं # संवरेमि अणागयं पञ्चख्वामि सव्वं अदिनादाणं जावज्जीवाए अणिस्तिओऽहं नेव सयं अदिन्नं
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॥१४॥
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