Book Title: Panch Pratikraman Sutra
Author(s): Siddhachal Kalyan Bhuvan tatha Surat,
Publisher: Siddhachal Kalyan Bhuvan tatha SUrat Nava Upasarana Aradhak
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परिग्गहे सचित्ताऽचित्तमीसेसु' दव्वेसु, खित्तओणं परिग्गहे लोए वा अलोए वा,कालओणं परिग्गहे दिआ वा राओ वा, भावओणं परिग्गहे अप्पऽग्घे वा महऽग्घे वा, रागेण वा दोसेण वा जंपिय मए इमस्स धम्मस्स केवलि पन्नत्तस्स अहिंसा लख्खणस्स सच्चाऽहिछियस्स विणयमलस्स खंतिप्पहाणस्स अहिरण्ण सोवण्णिअस्स नवसमप्पभवस्स नव बंभचेर गुत्तस्स अपयमाणस भिख्खा. वित्तिअस्स कुखवीसंबलस्स निरग्गिसरणस्त संपख्खालियरस चत्तदोसस्स गुणग्गाहियस्त निवि. यारम्स निवित्तिलख्खणस्स पंच महव्ययजुत्तस्स असंनिहिसंचयस्स अविसंवाइयस्स संसार पार गामियस्स निव्वाणगमण पजवसाणफलस्स पुट्विं अण्णाणयाए असवणयाए अबोहियाए अणऽभिगमेणं अभिगमेण वा पमाएणं राग दोस पडिबडयाए बालयाए मोहयाए मंदयाए किड्डयाए तिगारव गरुयाए चनक्कसाओवगएणं पंचिंदिओवसऽट्टेणं पडिपुन्न भारियाए सायासोख्खमणु पाल. यंतणं इहं वा भवे अन्नेसु वा भवग्गहणेसु परिग्गहो(परिग्रह)गहिओ(ग्रहण कराहो)वा गाहाविओ (ग्रहण 7 मचित्त अचित्त और मिश्र रूपी अरूपी धर्मास्तिकायादि सब द्रव्योंमें । २ थोडे मोल कीमत वाली वस्तुम । ३ महामन्य धणी कीमत)वाली वस्तुम ।
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