Book Title: Panch Pratikraman Sutra
Author(s): Siddhachal Kalyan Bhuvan tatha Surat, 
Publisher: Siddhachal Kalyan Bhuvan tatha SUrat Nava Upasarana Aradhak

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Page 162
________________ FFFFFFFF545555 ____ अहाऽवरे छठे भंते ! वए(व्रतमें) राईभोअणाओ (रात्री भोजनसे) वेरमणं, सव्वं भंते! राईभोअणं पच्चख्वामि, से असणं (अशन कुं) वा पाणं (पान कुं)वा खाइमं (खादिम कुं) वा साइमं(स्वादिम कुं) वा,नेव, सयं राई(रात्रिमें) जेज्जा(भोजन करूं)नेवऽन्नेहिं राइं भुंजावेजा(भोजन कराऊं) राइं भुंजते वि (भोजन करतेभी) अन्ने न समऽणुजाणामि,जावज्जीवाए तिविहं तिविहेणं.मणेणं वायाए काएणं, न करेमि,न कारवेमि, करतं पि अन्नं न समऽणुजाणामि तस्स भंते! पडिकमामि निंदामि गरिहामि अप्पाणं वोसिरामि। | से राईभोअणे (रात्रिभोजन) चनविहे पन्नत्ते, तंजहा-दव्वओ खित्तओ कालओ भावओ,दव्वओणं के राईभोअणे-असणे(अशनमें)वा पाणे (पानी आदिमें) वा खाइमे(खादिममें)वा साइमे (स्वादिममें) वा,खित्तआणं राईभोअणे-समयखित्ते (“समय क्षेत्रमें), कालओणं राईभोअणे-दिआ वा राओ वा, भावओणं राईभोअणे-तित्ते (तीग्वे रसमें) वा कडुए (कडवे रसमें) वा कसाए (कपायले(तुरे)रसमें) वा अंबिले (खट्टेरसमें) वा महुरे(मधुर मीठे रसमें)वा लवणे(लूणके खारे रसमें)वारागेण वा दोसेण वा,पि य मए इमस्स धम्मस्स रो. भात दाल शाक आदि । २ पीने लायक पाणी आदि । ३ खाने योग्य खजूर आदि मेवा । ४ स्वाद लेने योग्य सोपारी-इलायची आदि । ५ अढाइ द्वीप और दो समुद्र प्रमाण । १५०॥ For Personal & Private Use Only

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