Book Title: Panch Pratikraman Sutra
Author(s): Siddhachal Kalyan Bhuvan tatha Surat,
Publisher: Siddhachal Kalyan Bhuvan tatha SUrat Nava Upasarana Aradhak
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कीलिए' पणीए । अईमायाहार विभूसणाई', नवबंभचेर गुत्तिओ।। ए नव वाड सधी पाली # नहीं, सुहणे स्वप्नांतरे दृष्टि विपर्यास' हुओ। पंचमे महाव्रते-धर्मोपगरणने विषे इच्छा मा.गृद्धि. 5 आसक्तिधरी,अधिको नपगरण वावर्यो,पर्व तिथिए पडिलेहवो विसार्यो। छठे रात्रि भोजन विरमण
व्रते-असूरो भातपाणी कीधो,छारोद्गार आव्यो,पात्रे.पात्राबंधे'तकादिकनो छांटो लाग्यो,खरड्यो ई रह्यो.लेय.तेल.ओपधादिक तणो संनिधि रह्यो,अतिमात्राये आहार लीधो,ए छए व्रत विषइओ०५
कायषटके-गाम तणे पइसारे निसारे पग पडिलेहवा विसार्या,माटी मीठं खडी धावडी अरणेटो१३ पाषाण तणी चातली"नपर पग आव्यो।अप्पकाय-वाघारी"फूसणा हुआ,वहोरवा गया.नलखो हाल्यो,लोटो ढोल्यो, काचा पाणी तणा छांटा लाग्या। तेनकाय-वीज दीवा तणी नही हुइ। वानकाय-नघाडे मुखे बोल्या,महावाय वाजतां कपडा काबली तणा छेडा साचव्या नहीं.फंक दीधी।
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१२९॥
1 पूर्वक्रीडित (गृहस्थपणे में भोगवे हुए भोगोंको याद न करना) ।२ प्रणीत(विशेष पुटिकारक आहार न करना)। ३अतिमात्रः आहार ( खसे अधिक नहीं खाना) विभषण INE (शरीरकी तथा वन-पात्रादिकी शोभा नहीं करना)ये ब्रह्मचर्यकी नव बाड गुप्तियां हैं। ५ खराब नजर । ६ मोडा देरसे । ७ आहार पाणी । ८ गुचलका-उकार । ९झोली।
छास आदिका । 11 सग्रह । १२ खसे अधिक । १३ मरडेका ढेफा (४छोटी चिताल (फापरली)। १५चूँअर आदिका ।१६फरस । १७बिजली 1१८ उजाला । १९जोरका वायरा।
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