Book Title: Panch Pratikraman Sutra
Author(s): Siddhachal Kalyan Bhuvan tatha Surat,
Publisher: Siddhachal Kalyan Bhuvan tatha SUrat Nava Upasarana Aradhak
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मेरे, दुष्कृत । नमस्कारहो, चोवीसों, तीर्थंकरोंकुं, ऋषभ आदि, महावीर(स्वामी)पर्यंत, यहही, निग्रंथोंका,प्रवचन(सिद्धांत), मि,दुकडे ॥ नमो, चउवीसाए.तित्थयराणं,'उसभाइ.महावीरपज्जवसाणाणं, इणमेव,निग्गंर्थ, पावयण
सत्यहै,अनुत्तरहै ३, अद्वितीयहै, प्रतिपूर्ण है,मोक्षलेजानेवालाहै,सम्यक्शुद्धहै. पशल्योंकुंकाटनेवालाहै, सिद्धिकामार्गहै, मुक्तिका मार्ग है, ॐ सच्चं,अणुत्तरं,केवलियं, पडिपुन्नं, नेआउयं, संसुद्धं, सल्लगत्तणं, सिद्धिमग्गं, मुत्तिमग्गं,
निरुपमयान का,मार्गहै, निर्वाणका मार्गहै,अवितथ(सत्य है,विच्छेदरहितहै, सर्वदुःखप्रहीणका मार्ग है। इसमें१, रहेहुए, जीव, में निजाण, मग्गं, निव्वाणमग्गं, अवितह, मविसंधि, सव्वदुख्खप्पहीण मग्गं । इत्थं,ठिया,जीवा, में सिद्धहोतेहैं,१२बोधपाते हैं,मुक्तहोते हैं। ३,सबतरहशांतहोते हैं, सब दुःखों का अंत, करते हैं। उस’, धर्मकुं, सद्दहताहूं, १४स्वीकारताहूं, सिझंति,बुझंति, मुच्चंति,परिनिव्वायंति,सव्वदुख्खाणमंतं,करंति। तं, धम्म,सहहामि,पत्तिआमि, में रोचताहूं,फरसताहूं, पालताहूं, विशेषपालताई। उस’, धर्मकुं,सदहताहुआ,स्वीकारताहुआ,रोचताहुआ,फरसताहुआ,पालताहुआ, विशेष
रोएमि,फासेमि,पालेमि,अणुपालेमि। तं, धम्म, सदहतो,पत्तिअंतो, रोअंतो, फासंतो, पालंतो, अणु1 सामायिकादि द्वादशांग रूप । २ द्रव्य भाव ग्रंथ रहित मुनि। ३ सर्वोत्तमह । ४ इसके समान दूसरा नहीं है। : मोक्ष प्राप्तिके गुणोसे । ५ माया आदि तीन । ६ कर्मोंसे म छटनेका । ७ मोक्ष स्थानके प्रयाण । ८ कर्म अग्नि बुझानेका । ५ महाविदेहमें निरंतर होनेसे या शाश्वताहै । १० सब दुःखोंका नाश है जिसमें ऐसे मोक्षका । ११ निग्रंथके ) F प्रवचनमें । १२ केवलज्ञान-दर्शनसे। 1३ कर्मोसे छूटतेहैं। x निग्रंध प्रवचनमें कहे। १४ प्रीति पूर्वक ।
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