Book Title: Panch Pratikraman Sutra
Author(s): Siddhachal Kalyan Bhuvan tatha Surat,
Publisher: Siddhachal Kalyan Bhuvan tatha SUrat Nava Upasarana Aradhak
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# गुरुआभुट्ठाणेणं पारिठ्ठावणियागारेणं महत्तरागारेणं सव्व समाहि वत्तियागारेणं, वोसि(रइ)रामि है चोविहार सूरे उग्गए आभत्तऽठं (१ उपवास)पञ्चख्खा (इ)मि, चउव्विहंपि आहारं, असणं पाणं खाइम,साइमं. उपवास अन्नत्थे, 'ऽणाभोगेणं सहसागारेणं महत्तरागारेणं सव्व समाहिवत्तियागारेणं, वोसि(रइ)रामि। तिविहार सूरे उग्गए आभत्तऽठं पच्चख्खा (इ)मि, 'तिविहंपि आहारं, असणं खाइमं साइमं. ५अन्नत्थ उपवास ऽणाभोगेणं सहसागारेणं पारिठ्ठावणियागारेणं महत्तरागारेणं सव्वसमाहि वत्तियागारेणं, पाणहार
पोरिसिं साढपोरिसिं मुठिसहिअं 'पञ्चख्खा(इ)मि, अन्नत्थ 'ऽणाभोगेणं सहसागारेणं पच्छन्न कालेणं
दिसामोहेणं साहुवयणेणं महत्तरागारेणं सव्व समाहिवत्तियागारेणं, वोसि(रइ)रामि ।८। भवच- भवचरिमं पच्चख्खा(इ)मि तिविहं चउविहंपि आहारं असणं पाणं खाइमं साइमं अन्नत्यऽणाभोगणं रिम
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5 * सवेरे तिविहार उपवासका पचरूखाण लेके जिसने दिनभर पाणी नहीं पीयाहो वहभी संध्याको यह चोविहार उपवासका पञ्चख्खाण लेवे । x आवश्यक सूत्रमें इस उपवासके
पञ्चख्खाणमें “अभ्भत्त"ही पाठ हैं, वह ही तपचीतवनमें जो चिंतवा. नित्य उपवासके पश्चख्खाणमें बोलनेका है, “चउत्थम-छाभत्त-अमभत्त-चउत्तीसमभत्त" इत्यादि पूरे दिनोंसे होते हैं, दिन पूरे न हो तो भंग हो, वास्ते और कल्प सूत्रोक्त छठ आदिके योग्य पाणी भी दूसरे दिन छठ तीसरे दिन अठ्म इत्यादि यथार्थ होनेसे ही पीवाय, इस लिये वह छा आदि पहले दिन बोलना यथार्थ नहीं है। १ अभक्ताथ-आहारके प्रयोजनका निषेधहै जिसमें, वह उपवास एक एक करना ।
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