Book Title: Panch Pratikraman Sutra
Author(s): Siddhachal Kalyan Bhuvan tatha Surat, 
Publisher: Siddhachal Kalyan Bhuvan tatha SUrat Nava Upasarana Aradhak

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Page 129
________________ 1955 सफल संसार अवतार ए हूं गिj, सामि सीमंधरा ! तुम्ह भगते भणु। भेटवा पाय कमल भाव हियडे घणो, करिय भन्साय ॥ वीजको जे पीनवु ते मुणो ॥१॥ तुम्हशुं कूड अरिहंत शुं राखिये, जिस्यो अछे निस्यो कर जोडि करि भावये । अति सबल मुझ कहनेका हिये मोह माया घणी, एक मन भगति किम करूं त्रिभुवन धणी ॥२॥ जीव आरति करे नव नवी एरिगडे, रीश बटको नढे सीमंधर लोभ वयरी नडे । नयण रस बयण रस काम रस रसियो, तेम अरिहन तुं टीयडे नवि बसियो || दिवसने मत हिडे स्तवन अनेरो धरूं, मृह मन रीझवा वलिय माया करूं। तुहि अरिहंत जाणे जिस्यो आचरूं, तेम कर जेम संसार सागर जरूं ! कम्मवसि मुख्खने दुःख जे हूं सहूँ, मन तणी वात अरिहंत किणने कहूँ। करिया करि मया देव करुणा परा, राख हरि मुख्ख कर सामि सीमंधरा | जाण संयोग आगम बयण पण सुणं, धर्म न कराय प्रभु पाप पोते पणं । एक अरिहंत तक देव वीजो नहीं, एह आधार जग जाणजो अम् मही ।६।। धण कणय माय पिष पुत्त परिजन सह, इस्यो बोल्यो रम्यो रंग रातो वह । जयो जयो जग गुरु जी जीवन धरा. तुम्ह समो, बड नहीं अवर बालहेसग ।।७i अमिव सम वाणि जाणुं IF सदा सांभलं, चार वर परपदा मांहि आधी मि। चिन जाणं सदा सामि पाय ओलगुं.किम कर ठाम पुररीकिणि वेगल ॥८॥॥ भोलिडा भगति तूं चित्त ! हारे किस्थे, पुश्य संयोग प्रभु दृष्टिगोचर हुस्ये । जेहने नामे मन वयण तन उल्लसे दूरथी इकडा जेमी हियडे वसे ॥२।। भल भलो एणि संसार सह ए अछे,सामि सीमंधरा! ते सह तुम फछे। ध्यान करतां मुएनमांहि आवी मिले, कदेखिये नयण तो चित्त आरति टले ||१०|| साम सोहामणा नाम मन गहगहे, तेहथु नेह जे वात तुम्हची कहे। तुम्ह पायक भेटवा अति घणो टलबलुं, पंख जो होय तो सहिय आधी मिलुं ॥११|| मेरुगिरि लेखणी आभ कागल करूं, क्षीरसागर तां दुध खडिया भरूं । तुम्ह मिलवा तगा सामि संदेशडा, इन्द्र पण लखिय न शके अछे एनय॥१०॥ आपणे रंग प्ररि बात मुख जेटली. ऊपजे For Personal Use Only

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