Book Title: Panch Pratikraman Sutra
Author(s): Siddhachal Kalyan Bhuvan tatha Surat,
Publisher: Siddhachal Kalyan Bhuvan tatha SUrat Nava Upasarana Aradhak
View full book text
________________
४८
सीमंधर
चैत्य
वंदन
555555555555555 फफफफ5555
+ सहित,देवीओं । (तथा) सर्वज्ञशासन के,मुखकेलिये, अच्छे उद्यम वाली। श्रीवर्द्धमानजिनने,दियेहुए, मतमें,प्रवर्तनेवाले । भव्य मोक्षकेयोग्य, संह, देवताभिः। सर्वज्ञ शासन,सुखाय,समुद्यताभिः। श्रीवर्धमानजिन,दत्त ,मत,प्रवृत्तान्। भव्यान्, जीवोंकी, रक्षाकरो, नित्य, अमंगलोंसे ।। जना, 'नऽवतु, नित्य, मऽ मंगलेश्यः ॥४॥
वंदू जिनवर विहरमाण, सीमंधरस्वामी। केवल कमला कांत दांत, करुणारस धामी।। कंचनगिरि सम देहकाति, वृष लंछित पाय। चोरासी लख पूर्व आय, सेवे सुर नर राय ।२। पूर्व विदेह ॐ विराजता ए, पुंडरीकिणी भाण। प्रभु ! यो दर्शन संपदा, कारण पद 'कल्याण' ।३। नमुत्थुणं०*
श्रीसीमंधर साहिबा, वीनतडी अवधार लाल रे! परम पुरुष परमेसरू, आतम परम आधार लाल रे. श्रीसीमंधर। केवलज्ञान दिवाकरू, भांगे सादि अनंत लाल रे,भासक लोकालोकनो,
ज्ञायक ज्ञेय अनंत लाल रे, श्रीसीमधर०।२१ इंद्र चंद्र चक्कीसरू, सुर नर रहे कर जोड लाल रे। - जनधर्म संघ)। दूसरे पक्षमे स्तुतिकताने 'जिनद तसर' ऐसा अपना नाम सूचित किया। * विद्यमान सीमंधर जिनको ही यह नमस्कार होनेसे 'जं किचि'न कहना, 'नमुत्थुणं के अंतर्मभी 'टाणं सपत्ताण'की जगह 'ठाणं सपाविउ कामस्स, नमो जिणाणं, नमोऽहंत 'कहके स्तवन कहना । 'जाति चेइयाई-जावंत केवि साहू' नहीं कहना।
४९
सीमंधर स्तवन
॥५॥
Jain Educad
For Personal B. Private Use Only