Book Title: Panch Pratikraman Sutra
Author(s): Siddhachal Kalyan Bhuvan tatha Surat,
Publisher: Siddhachal Kalyan Bhuvan tatha SUrat Nava Upasarana Aradhak
View full book text ________________
३४
सर्वकालसंबंधी, सर्वमिथ्याउपचार वाली, २सर्वधर्मके अतिक्रमणवाली, आशातनाकरके, जो, मैंने, अतिचार कियाहो, उससे. सव्वकालियाए, सव्वमिच्छोवयाराए, सव्वधम्माइक्कमणाए,आसायणाए,जो, मे, अइयारो,कओ, तस्स, हे क्षमाश्रमण !, पीछाहटताहूं, निंदताहूं, गर्हताहूं, आत्माकुं, वोसिराताहूं। खमासमणो !,पडिक्कमामि,निंदामि,गरिहामि,अप्पाणं, बोसिरामि ॥७॥
इच्छाकरके, आज्ञादीजिये, हे भगवन् !, रात्रिके अतिचार, आलोचूं ?, आज्ञास्वीकार है,आलोचताहूं, जो, मैंने।
इच्छाकारेण,संदिसह, भगवन् !, राइअं, आलोऊं ?, इच्छं, आलोएमि,जो, मे०। आलोऊ
संथारा,एकवेलाफेरनेमे,वारंवारफेरनेसे, भेलेकरनेसे, पसारनेसे,षट्पदिका(जू)को, संघहने(अडने) से, विनादेखी, मातरेकीभूमियाकुंडोईवापरीहो
संथारा,उट्टणकी,परिअट्टणकी,आउट्टणकी,पसारणकी,छप्पइय,संघट्टणकी,अचख्खुविसय. कायिकी। संथारा उट्टणको अविधे संथारो कीधो, संथारा पोरिसी तणो विधि भणवो विसार्यो, संथारा पोरिसी माहिं
ऊंध्या, ऊंघ आवी कुसुपनां लाधां, कुविकल्प चिंतव्या, मातरं अविधे परठव्युं, उत्तरपट्टा ढलता रह्या, काबली तणा छेडा साचव्या नहीं.अष्टप्रवचन माता रुडिपरे पाली नहीं, जे कोइ ।
१ कूड-कपट । २ अष्टप्रवचन माताप । ३ उसी अतिचारकु आत्मसाखे। ४ गुरुसाखे विशेष निंदताई। ५ उसी अतिचारसे । देवसी आदि चारोंमें अनुक्रममे E 'देवसिअं-परिख-चोमासिअ-संवच्छरिअं' ऐसे कहना। ६ विना पूंजे, पसवाडा। ७ हाथ पग आदि अंगोपांग ।
राइ
5-15555555555555E
555555555555555555555555
॥३२॥
Ta
Jain Education n
ational
For Personal Private Use Only
rary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192