Book Title: Niryukti Sangraha
Author(s): Bhadrabahuswami, Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 520
________________ गाथानां अकारादिक्रमः ] [ ४६७ आद्यांश ग्रन्थ-गाथांक पृष्ठं अभिंतरपरि पि. ३०-२६८ अभिंतर मल आव. १४२४-१५६ अभिंतरया उत्त. १३२-३७७ अब्भदाणं वि.प्राव. ८४८-८३ अब्भुट्ठाणं अं. दश. ३११-३५८ अभट्राणं अंदश. ३२१-३५८ अब्भुवगत दशा. ११२-४८७ अब्भुवगमंमि प्राव.६६६-६७ अब्भोग्गे पि. १६०-२८३ अभणंतरस प्रा. ५६०-२४४ अभत्तट्टियाण प्रो. ३६२-२२६ अभयकरो आचा.२०६-४४० अभयं तुज्झ उत्त. ४०१-४०३ अभए सिट्टि प्राव. ६४६-६३ अभिकंखं प्रा. ७०८-७० अभिक्खम प्राव. १२-१४५ अभिणंदरगाउ पाव. ४-४२ अभिपेयमरण उत्त. ४३-३६६ अभिलाभ उत्त. ४५-३६६ अभिसंभूत्रा प्राव. १०९४-१०८ श्राद्यांश ग्रन्थ-गाथांक पृष्ठं अमणुन्न प्रो. ४२०-२२६ अभरनर पाव. ५४०-५५ प्रमुगंति पि. २४१-२८८ प्रमुगारराति पि. २३५-२८७ अम्मापिऊण उत्त. ४२१-४०५ अयमपरो पि. ४१५-३०४ अयलापुर उत्त.६८-३७४ अयणाईय प्रो. २८२-२१६ प्रयसि हरि दश. २५३-३५२ अरईइ उत्त.७५-३७२ अरई अचेल उत्त. ७५-३७२ अरमल्लि प्रा. ४२०-४४ अरहंते व प्रो. १-१९ अरहताई प्राव. १०२०-१०० अरिहंतनमु प्राव. ६२३-६१ अरहंतनम् प्राव. ९२५-६१ अरहंतु व प्राव. १०२२-१०० अरिहंतनमु प्राव. ९२४-९१ अरिहंतनमु प्राव. ६२६-९१ अरिहंतमग्ग दश. १४६-३४१ अरिहन्तचक्क सू. १४९-४७० अरिहंतसिद्ध आव. ४५१-४७ अरिहंतसिद्ध प्राव. १७९-१८ अरिहंति प्राव. ९२१-९० अरिहो उ प्राव. ९०८-८९ Jain Education International 2010_04 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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