Book Title: Niryukti Sangraha
Author(s): Bhadrabahuswami, Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 518
________________ गाथानां अकारादि क्रमः ] श्राद्यांश ग्रन्थ- गाथांक पृष्ठ प्रतरतस्स प्रो. ३२४-२२० श्रतरंतो उ श्राव. १५१०-१६७ प्रतरंतो व श्री. २०६ - २०९ प्रतिहिसंवि आव. सू. १२ - १८२ प्रत्थकरो अ श्राव. १०८८-१०७ प्रत्थकहा दश. १८८-३४६ प्रत्थमहं दश. २१४-३४८ प्रत्थबहुलं दश. १७४-३४४ प्रत्थंडिल प्रो. १३-१६१ प्रत्थं भासइ प्राव. ६२-१० अत्थाणं आव. ३-१ प्रत्थाह पि. ३३-२६६ श्राव, ७०१-७० अथिरस्स प्रत्थित्ति सू. ११८ - ४६६ दश. ७७-३३५ 77 प्रत्थिबहु दश. ११३-३३८ दश. १०६-३३८ " श्राव. ३-१ प्रत्थार्ण प्रत्थित्ति दश. ७७-३३५ अपुरे सू. १८७-४७६ श्रद्धट्टमा आव. २९६-२६ अद्धटुमल ग्राव. २६०-२६ [ ४६५ श्राद्यांश ग्रन्थ- गाथांक पृष्ठ अद्धठ्ठमा प्रद्धतेरस आव. २७६-२८ श्राव. २८० - २८ आव. ३३२-३३ " श्रद्धद्धं श्रहि प्राव. ५८७-५६ श्रद्धमस पि, ६५० - ३२५ श्रद्धभरह श्रद्धभार श्रद्धाइ श्राव. ५८-६ श्रद्धामि श्राव. ११ - १४५ श्रद्धाणे पसाए आव. १२५६-१२५ "7 पलि आव. २४- १३३ श्रद्धा पच्च श्राव १५६३-१८४ अद्धिइ दिट्ठि पि. ४६६-३१० अधिई पुच्छा पि. ५०६-३१२ अन्नत्थऊस प्राव. सू० १६८ अन्नत्थऊस श्राव. सू० १७२ अन्नत्थनिव. आव. १५१-१५ नो. ३४६-२२२ श्राव. १६०६-१८६ अन्नयर श्राव. १३५५-१५२ प्रन्नावए दश. ८०-३३५ श्रन्नाविठ्ठ प्राव. ३६-१३५ अन्नं इमं आव. १५६६ - १७६ अन्नंपिय दश. १६५-३४३ Jain Education International 2010_04 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624