Book Title: Niryukti Sangraha
Author(s): Bhadrabahuswami, Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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५३२ ]
[ नियुक्तिसंग्रहः
प्राद्यांश ग्रन्थ-गाथांक पृष्ठं । प्राद्यांश ग्रन्थ-गाथांक पृष्ठं ६२१-६२, ६२५-६३, ६३३- जइ पुण खद्ध प्रो. १५१-२०४ ६३, ६३७-६४, ६४१-६४ । जह वतं तु पि. १६१-२८३ छिन्नमछिन्नं पि. २३१-२८७ जइ पुण गच्छं छिन्नमछिन्नो पि. ८४-३०१
प्राव. १३८६-१५५ छिन्नो दिट्ट पि. ८५-३०१ ,, ,, वच्चं प्रो. ४२-२४९ जइ अस्थि दशा. ७०-४८३
, निवाघाए जइ अब्भत्थे प्राव. ६६८-६७
प्राव. १५३२-१७१ , अब्भासे प्रो. १८१-२०७ ,,, निवाघालो . " असरगमेव
प्रो.३५-२४८ प्राव. १६०४-१८६. " " प्राव.१३७६-१५५ जइमा चेव प्रो. १६६-२०६ , ध्वयाल ओ. १६८-२०८ जइ उवसंत प्राव. ११६-१२ जइ य पडि प्राव. ६८३-६८ जइ एगग्गं प्राव.१४८५-१६५ ,, रितो प्रो. २५२-२१३
,, वीसा पि. १५६-२८० , लिंगम जइणो सावग पि. १५७-२८०
प्राव. ११३८-११३ जइ तरुणो प्रो. ६०८-२४६ . , लुद्धो प्रो. ५६२-२४२ , तं लिंग पाव.११३७-११३ जइ वारिमझ ,, ताव सू-४४-४५६
___ प्राव. ८३७-८२ , ता गिहि दशा. ४२-४८० ,, वासुदेव प्राव. ४३१-४५ , तिन्नि प्रो. १५६-२०४ , विय पडि , ते चित्तं
प्राव. ११४९-११४ प्राव. १५०१-१६७ "दोण्ह प्रो. ४१९-२२६
, ता पि. ४६७-३०९ " पगई दश. १०७-३३८ जइवि वय पाव. ७१३-७१ १. पच्छ पि. ६१४-३२२ , पि. ५११-३१३
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