Book Title: Niryukti Sangraha
Author(s): Bhadrabahuswami, Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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५४० ]
श्राद्यांश ग्रन्थ-गाथांक पृष्ठ
जो होज्ज उ प्रो. ३७ - २४९
जं कारण
जं किंचि
जं किर दव्वं उत्त. ४६१-४१३
श्री.
८००-२६४
श्राव. ७५-८
पि. ५०७-३१२
पि.
जं कुणइ जं केसवस्स
जंघा परि
जंघा बाह
जं चण्ण जं च तवे जं च महाकप्प श्राव. ७७७-७६
दश. १३६-३४०
17
जं चेव प्राउयं श्राव. १६२-१७ जं जस्स श्राव. १६३-१७ जं जह व कथं पि. २४२-२८८ जं जुज्जइ प्रो. ७४१-२५८ जं जं जे जे श्राव. ७६४-७८
""
आव. ५९५-६० श्रो. ८००-२६४
19
श्राव. ७६५-७८ जं तेहि आव. ११०६-११० जं दव्वं पि. ६८-२७५ जं दिसि जं दुक्कडंति श्राव. ६८४-६८
आव. ६२-१३७
आव. ६८५-६८
उत्त. ८१-३७२
जं पप्प जं पढम सू. १३३-४६८ जं पुण चित्त पि. ५४७-३१६
""
३३१-२६६
प्रो. २६-२५७
"
[ नियुक्तिसंग्रहः
श्राद्यांश ग्रन्थ-गाथांक पृष्ठ
जं पुण उद्दिस
श्राव. १५५० - १७४
जं जं पुण
पुण गुरुस्स प्रो. ५७४- २४३ प्रो. २७-२५७
जं भरणसि
दश. ७१-३३४
जं भिवखमत्त दश. ३४४-३६२ जंभियगामे श्राव. ५२४ - ५३
बहि आव. ५२६-५४ प्रो. ५६-१९५ दश. २८८-३५६
19
जंमि निसे
जं वक्कं
जं वेलं
जं संठारणं
ठवणकुल
ठवणाए दशा. ५४-४८१ ठवरणाकम्मं दश. ६७-३३४ ठवरणा मिल प्रो. ४४० - २३१ ठाण दिसि ओ ५५० - २४१
प्रो. ५६३-२४२ निसीयतु प्रो. ३४२-२२२ निसियण पि. १५-२६७ ठाणासति प्रो. ६६१-२५१ ठाणास आव. १४०६-१५७ ठाणे उव श्रो २६३ - २१४ ठाणे य दायए प्रो. ४६२-२३३ ठाणं पमज्जि प्राव. ७०४-७०
11
11
37
श्राव. ३८-१३४
आव. ९६९-६५
श्री.
१२- १९१
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