Book Title: Niryukti Sangraha
Author(s): Bhadrabahuswami, Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 603
________________ ५८० ] प्राद्यांश ग्रन्थ- गाथांक पृष्ठ रहवीरपुरं उत्त. १७८ - ३८१ राइणियं आाव. ६७१-६७ राईसरिसव उत्त. १३९-३७८ राश्रवणीय श्राव. ५८९-५९ रागग्गि पि. ६५७-३२६ रागद्दोसकसाए श्राव. ९१८-६० " छोसा उत्त. ३७६-४०१ रागाई दश. २४४-३५१ रागेर व श्राव. १४२६-१५९ रागेण सई पि. ६५६-३२६ राय करेइ श्राव. १९८-२० रायकुले श्राव. २२२-२३ रायगिहमिहिल 11 " 11 उत्त. ३५०-३९८ विस्स श्राव. ४४४-४६ विस्स आव. ४४५-४६ 17 माल उत्त. ११०-३७५ रायगिहागम सू. १९८-४७५ राग गुण उत्त. १६८-३८० धम्म पि. ४७४-३०६ रायगिमि उत्त. ६१-३७३ राया श्राइ श्राव. ३६३-३६ राया इह प्राव. १३३६ - १५१ [ निर्युक्तिसंग्रहः श्राद्यांश ग्रन्थ- गाथांक पृष्ठ राया उसुयारो रायघरे य राया य तत्थ राया य बंभ उत्त. ३६४-३९९ पि. ४७७ - ३०६ उत्त. ३३३-३६७ राया य राय रुक्खाणं रूप्यं पत्तेय उत्स. ३३५-३६७ श्राव. ५८४- ५९ राया विज्जमि ओ. २४-२४७ रायारोह पि. १२७-२७७ राया सप्पे दशा. ७२-४८३ रोद्दा य सत्त प्राव. ४६४-४८ रोहीडगं श्राव. १३३२-१५० रोहेइ वर्ण आव. १४३७-१६० रुपं टंकं श्राव. ११५२-११४ रुक्खा गच्छा श्राचा. १२९-४३२ आचा. ८०-४२७ Jain Education International 2010_04 For Private & Personal Use Only आव. ११५३ - ११४ रूवं वनो दश. १६२-३४६ लक्खणमेवं श्राचा. १५८-४३५ लक्खं श्रट्ट श्राव. २६२-२६ लट्ठी श्राय प्रो. ७३० - २५६ www.jainelibrary.org

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