Book Title: Niryukti Sangraha
Author(s): Bhadrabahuswami, Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 565
________________ ५४२ ] श्राद्यांश ग्रन्थ- गाथांक पृष्ठ णामंठवणादविए उत्त. १४१-३६८, १४२-३७८, ३७८-४०१ णामं ठवणा दविए श्रचा. १८४-४३७, १९०-४३८ णामं ठवणा दविए सू. १०७-४६५ स. १०४-४६५ " णामंठवणाधम्मो " " " ठवणसरीरे 33 33 ,, ठवणा सुद्धी 11 77 ,” ठवणा दश. ३९-३३१ सू. १०० - ४६४ "1 ,, ठवण णामंगं णायंमि दश. २२८-३५० ,, ठवणा कम्मं दश. २८३-३५५ भिक्ख दश. ३३३-३६१ प्राचा. १६२-४३८ सू. ५५-४६० जाई दशा. १२८ - ४८८ १७८-४७३ उत्त. १४३-३७८ दश. १४९-३४२ x6 [ नियुक्तिसंग्रहः श्राद्यांश ग्रन्थ- गाथांक पृष्ठ णावि प्र आव. ४२८-४५ उत्त. ६५-३७१ णासो परी णिक्खेवो उ उत्त. ५१७-४१५ 31 कारणं आव. ७३७-७३ णिगलादि दशा. १३८-४८६ णिद्दाए भाव श्राव. ८१६ -८० णियमा आाव. ७४४-७३. णिरए ६२-४६१ निर्वाचित दशा १०५-४८६ णिविवयतियं श्राव. सू. १८७ णिव्वेढरण श्राव. ८०६-७६ णीसवमाणो श्राव. ६२८-८१ णेगमसंगह आव. ७५४-७४ गावि प्रो. १२३-२०१ 6 गेह श्राव. ७५५-७४ णोश्राहारंमी श्राव. ७७ - १३८ णोकम्मंमि य उत्त. ६७-३७१ गोतसपाणे ग्राव. ७१-१३७ णो य विव दश ७२-३३४ णो सरसि प्राव. ३-१५० तइए ग्राहा सू. ३२-४५८ तइए जयंत प्राचा. २६२-४४६ तइए य प्रो. ६२०-२४७ तइग्रमवच्चं प्राव. ४६६-४८ तइए एसो प्राचा. २३६-४४३ Jain Education International 2010_04 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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