Book Title: Niryukti Sangraha
Author(s): Bhadrabahuswami, Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 556
________________ गाथानां अकारादिक्रमः ] [ ५३३ आद्यांश ग्रन्थ-गाथांक पृष्ठ प्राद्यांश ग्रन्थ-गाथांक पृष्ठं जइ वेलंबग जत्थ राया उत्त. १३३-३७७ प्राव. ११५१-११४ " साहम्मिया ,, संका पि. ५२९.३१४ प्रो. ७७९-२६२ , से न पि. ६१८-३२२ " , . प्रो. ७८०-२६२ ,, सुद्धा प्रो. ९७-१६६ " , प्रो. ७८१-२६२ "हुज्ज प्राव. ६७०-६७ ,,, प्रो. ७८३-२६२ जउघर उत्त. ३५५--३६६ . जदि पढमं प्रो. ६२१-२४७ जइ तमिह प्राव. ६०७-८९ जमदग्गि उत्त. १४५-३७८ जडस प्रो. २३८-२१२ जम्मण वि प्राव. ३६७-३६ जण्णसेव प्राव. २०५-२१ जम्मणे नाम प्राव. १८६-१९ जणणी प्राव. १०६५-१०८ जम्मं एसइ पि. ७५-२७३ जणसावगारग पि. ५०४-३१२ . जम्मं मयंग उत्त. ३२३-३९५ जणवय दश. २७३-३५४ जम्माभि प्राचा. ३१६-४५२ जत्तासाहण प्रो. ५७७-२४३ जम्हा सण जत्थऽम्हे ओ. ३०४-२१८ प्राव. ११८१-११७ जत्थ अपुवो प्राव. ५४४-५५ गविण प्राव. १२३१-१२२ ,, , पाव. ५६८-५७ जमहं दिया उत्त. १२६-३७६ ,, उ तइओ पि. १५६-२८० जयघोसा उत्त.४६३-४१० ,, उ थोवे पि. ५६६-३१८ जयणम .. प्रो. ४६-१६५ , उ अचित्त पि. ५४५-३१६ जय नव ओ.१-२६५ ,, पुण प्रो. ५७३-२४३ जयमाणस्स जस्थ य एगो प्राव.६७५-६६ प्राचा. ३१४-४५२ ,,, जं प्राचा. ४-४२० जयमाणा खलु प्रो. ४-२०२ " , जो प्राचा. ५१-४२४ जयमारणा विह ,, नत्थि प्राव.५१-१३६ प्रो. १२४-२०१ Jain Education International 2010_04 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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