Book Title: Niryukti Sangraha
Author(s): Bhadrabahuswami, Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 557
________________ ५३४ ] [ नियुक्तिसग्रहः आद्यांश ग्रन्थ-गाथांक पृष्ठं प्राद्यांश ग्रन्थ-गाथांक पृष्ठ जया ते उत्त. २७६-३६१ ।। जह गयकुल दशा. ३०-४७९ जया रज्जं उत्त. २७५-३६१ , चेव य पि. ६०६-३२१ जया सव्वं उत्त. २७७-३९१ .,, ,, उ पि. ५५६-३१७ जलमाल सू. १६१-४७१ , उ पि. ५६४-३१७ जलयर . सू.१४८-४७० " ॥ पुव्व पि. ३५१-२६८ जस्स अणु प्राव. ७६७-७६ छेय प्राव. ९५-१० ,, खलु दश. २६४-३५७ , जच्च . प्राव. ६७८-६७ जसभद्दे प्राव. १३०३-१४७ ,, जह सुप्राव.११६९-११६ जस्स जो प्राचा. ४७-४२४ ,,जिण दश. ९४-३३६ , जएहिं दश. १२५-३३९ ,, णामगो सू. ६०-४६३ " जहा प्रो. ६३१-२४८ ,, णाम मंड सू. ५१-४६० , य इच्छा प्राव. ६६०-६९ जहण्णं उत्त. २-३६५ ,,,, जोग प्रो. ४२८-२३० , तिक्ख प्राव. २-११६ , विप्र दश. ३००-३५७ , तिपएसो पि. ५७-२७१ ,, सामाणिोपाव.७९७-७८ " तुझे उत्त. ३०७-३९४ जह अंतरिक्ख प्रो. ४०-१६४ , देसण पि. २१६-२८५ जह अब्भंग प्रो. ५४६-२४० , दारु दश. ३३५-३६१ जह एसो दश. २९७-३५७ , दीवा दश. ३१-३३१ , इत्थ दश. १३०-३४० "दुमगणा दश. १२७-३४० ,, उल्ला प्राव, ७५६-९४ , दुओ प्राव. १२४३-१२३ , कम्मं पि. १८९-२८३ जहदेवस्स प्राचा.१६७-४३६ , कारण पि. ७१-२७२ जह देह प्राचा. ११६-४३१ ,, काय प्राव. १४८६-१६५ , धाऊ उत्त. ३४-३६८ , खलु झुप्राचा.२३४-४४३ जह नाणेणं ", मह प्राचा. २८३-४४० प्राव. ११६७-११५ साव. Jain Education International 2010_04 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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