Book Title: Niryukti Sangraha
Author(s): Bhadrabahuswami, Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 544
________________ गाथानां अकारादिक्रमः ] [ ५२१ आद्यांश ग्रन्थ-गाथांक पृष्ठं कहिऊण दश. १९६-३४६ कहिं पडि प्राव. ९५८-६४ कहिया दशा. १२६-४८८ कंचुयपज्जु उत्त. ३५७-३६६ कंदाई सच्चित्तो उत्त. २९७-३६३ कंटगथाणु प्रो. १९६-२०८ कंडिय पि. १७१-२८१ कंडू अभत्त उत्त. ८४-३७३ कंपिल्लपुर उत्त. ३६४-४०३ कंपिल्लपुरा उत्त. ४००-४०३ कंपिल्लं उत्त. ३४१-३६७ कंपिल्ले उत्त. ३३६-३६७ काइयभूमी दशा.७१-४८३ काउस्सग्गं प्राव.१५११.१६६ , मि प्राव. १-१६६ __, , प्रो. ५१२-२३७ काउस्सग्गे प्राव. १५६५-१७६ काउंहिए प्राव. १५१४-१६६ काऊ णतव उत्त. ४०४-४०४ " " , ४४२-४०८ ,, मणे प्राव. ८३६-८२ " मास दशा. ५६-४८२ ,, , ६९-४८३ प्राद्यांश ग्रन्थ-गाथांक पृष्ठ " य उत्त. ३६२-३९९ , समण उत्त.३६६-४०० काएविय प्राव. १४८४-१६५ सरीर प्राव. १४६०-१६३ कामो कस्सइ प्राव. १४४५-१६१ कागसियाल प्रो. ५६३-२४५ कामं असं दशा. १३२-४८९ काम उभया आव. ४८-११४ ,, चरणं प्राव.११५४-११४ "तु निरव दशा.३८-४८० कामं तु सव्व दशा. ८८-८४ सासय सू. ३९-४५८ , देहा प्राव. १४२३-१५९ "दुवा सू. १८८-४७४ काम दुवाल दशा. ३६-४७६ " भवित्र प्राव. १४५२-१६२ , सयं पि. १११-२७६ "सुप्रो पाव. १३५३-१५२ कामाण उ उत्त. २०७-३८४ कामो चउ दश. २५६-३५३ कायस्स उप्राव.१६४३-१६१ कायं वायं दश. १३५-३४० Jain Education International 2010_04 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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