Book Title: Niryukti Sangraha
Author(s): Bhadrabahuswami, Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 543
________________ ५२० ] [ नियुक्तिसंग्रहः प्राद्यांश ग्रन्थ-गाथांक पृष्ठं प्राद्यांश ग्रन्थ-गाथांक पृष्ठं कप्पणि प्राचा. १४६-४३४ कम्मोवरि प्राव. ४०-५ कप्पस्स य प्राव. ८५-९ कयकिति प्रो. ३८०-२२५ कप्पंति स. ७५-४६२ कयपंचनमु प्राव.१०२७-१०१ कप्पा प्रायप ओ. ७०५-२५५ कयपच्च प्राव. १५९६-१८५ कप्पाकप्पे प्राव. ६८८-६८ कयरी दिशा प्रो. १३६-२०३ कप्पेऊणं ओ. ३११-२१६ कयलि पाव. ४८३-५० कति कर सू० ८१-४६२ कयाकयं प्राव. १०४०-१०२ कब्बढिग पि. ५७६-३१६ करडुय पि. ४६४-३०८ कम्मउत्तरेण उत्त. ३-३६५ करकंड उत्त. २६३-३६० कम्मग उत्त. २०४-३८४ करणतिए दश. ३३६-३६१ कम्मपयडी उत्त. १७-३६६ करणं च सू० ४-४५५ कम्मप्यवाय उत्त. ६६-३७१ करणेभए प्राव. १०२६-१०१ कम्मभिण्ण प्राव. ८८२-८७ करेमि भंते प्राव. सू. १६७ कम्ममवज्ज कलहकरो प्राव. १०८७-१०७ प्राव. १०५१-१०३ कल्लं सव्वि प्राव. ३३५-३३ कम्मविवेगो प्राव. ७४७-७४ कलुसदवे प्रो. ३०७-२१८ कम्मय प्राचा. २६१-४४६ कविलाउ उत्त. २५१-३८८ कम्ममि अ उत्त. ५२८-४१६ कविलो उत्त. २५३-३८६ कम्मं जम आव.६२८-६१ कस्सइ दश.१०४-३३७ कम्माण जेण पि. ६६-२७२ कस्स घर पि. ४६९-३०९ कम्मासंका पि. २००-२८४ कस्सत्ति पि. १३७-२७८ कम्मिय पि. २५३-२८६ कस्स न प्राव. १३७-१४ कम्मुद्देसि दश. २४२-३५१ कसिणं प्राव. १०६२-१०८ कम्मे य दशा. १२४-४८८ कह नाम आचा. २७४-४४७ कम्मे सिप्ये प्राव.६२७-९१ । कह सामाइआव.१०४१-१०२ Jain Education International 2010_04 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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