Book Title: Niryukti Sangraha
Author(s): Bhadrabahuswami, Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 546
________________ गाथानां ग्रकारादिक्रमः ] आद्यांश ग्रन्थ- गाथांक पृष्ठ आव. ८६२ - ८८ कि जीवो किण्हचउ उत्त. २००-३८४ कित्तिय आव. सू. ६-१०९ कित्तेमि आव. १०६०-१०७ किंतु ह खद्धा पि. ५२६-३१४ किं तं हा पि. १६०-२८० कि दुम्भिक्खं दश. १०१-३३७ कि देमित्ति प्रो. ३८५-२२६ किं नु गिही दश. १०६-३३८ किन ठवि पि. ५०६-३१२ किं पुण आचा. २७६-४४७ कि पिच्छसि श्राव. १०११-९९ कि मन्नसि श्राव. ६२४-६३ कि मन्त्रिप्रत्थि 13 "7 प्राव. ६००-६० पुण्ण व. ६३२-६३ बंध प्रव ६२०-६२ श्राव. ६८-६३ 11 " कि मन्ने कि मणि जारिसो 27 11 श्राव. ६१६-६२ किं मणि पंच प्राव. ६१२-६१ कि मन्ने अत्थि i आव. ६०४-६१ निव्वाणं व. ६४०-६४ श्राव. ६३६-६४ " " पर [ ५२३ आद्यांश ग्रन्थ-गाथांक पृष्ठ किरिया किवणेसु कि वा कहिज्ज किह मे कीय गड कुक्कुड कुडु ३०३-२९३ कुरणमाणो आचा. २१९-४४१ २२०-४४१ 19 " कुथु अरं श्राव. सू. ४- १०८ कुप्पवयणं कुम्भीसु य दशा. ३४-४७६ कुमारए कुलए कुल्लाग कुसमुट्ठी कुसुमे 11 सू. १६५-४७१ पि. ४४६-३०७ पि. ३१४-२९४ प्राचा. ३२८-४५३ पि. ३०६-२६४ उत्त. ३५६-३९९ fa. आव. ४७४-४६ श्राव. ४८-१३५ दश. १२८-३४० कडउव पि. १०९-२७६ केइ एक्क के प्रो. ५४-२२३ पि. ३१-२६६ आव. ३३४-३३ 11 19 केई तेणेव भांति पुव्वं 37 सू. ७८-४६२ उत्त. ८७-३७३ पि. ४-२६६ Jain Education International 2010_04 For Private & Personal Use Only नो. १३८-२०३ पहिए पि १६३ - २८३ www.jainelibrary.org

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