Book Title: Niryukti Sangraha
Author(s): Bhadrabahuswami, Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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गाथानां अकारादिक्रमः ]
[ ४९९
प्राद्यांश ग्रन्थ-गाथांक पृष्ठं प्राद्यांश ग्रन्थ-गाथांक पृष्ठं प्रसज्झाइय
___, , प्रो. १११-२०० प्राव. १४३०-१६० , , दशा ७४-४८३ प्रसज्झाइय
असिवो माघ प्राव. १४३१-१६०
प्राव. १३७३-१५४ असज्झाइयं
असिसत्ति । सू. ७२-४६२ प्राव. १३३६--१५१ अस्साय प्राव. ५७३-५८ अस्संजयमणु प्राव.६६-१३७ अस्सावग प्राव. ३६५-३६ अस्संजमोय प्राव. ७४०-७३ । असुनाइएहिं पि. ४२४-३०५ अस्संजमजो पि. ४६०-३०८ असुइटाणे आव. ११२५-११२ प्रसंजयं न प्राव. १११९-१११ असुते दशा. १२५-४८८ अस्सिरिण प्राव. ४३-१३५ अह अन्नया असि असिरग्रो
उत्त. ४१२-४०५ प्राव. १६२-२०
अह अन्नया उत्त. ४३६-४०७ असिपत्ते आव. २-१४०
अह अन्नया उत्त. ४६६-४१०
अह अन्नया प्राव. ३५०-३५ असिपत्ते सू. ६७-४६१
अह अन्नया उत्त. ४३२-४०७ असियसयं सू. ११९-४६६ अह आगो उत्त. २९१-३६२ असरीरा जीव
ग्रह प्रागमो प्राव. ५०१-५१ प्राव. ९७७-६६ अह पासगयो असिवाइ प्राव. ५६-१३६
उत्त. ३६७ ४८३ ___" दशा. ६६-४८२ ___ अह एगराइ उत्त. ४७२-४११
, प्रो. ६-१६१ अह अोवया दश. ३१६-३५६ असिवे प्रोमो प्राव. १२-१३२ अह केसर उत्त. ३६६-४०३
" " प्रो. ७ १६१ अह को पुरणा प्रो. ५२८-२३६
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