Book Title: Niryukti Sangraha
Author(s): Bhadrabahuswami, Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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गाथानां अकारादिक्रम: ]
श्राद्यांश ग्रन्थ- गाथांक पृष्ठ
लंबणेण श्राव. ११८५-११७
स. ९३ - ४६४
आवरणे
आवत्ताइसु
प्राव. १२४०-१२३
श्रावस्सएसु
श्राव. १२२८-१२१ आवस्सगकय प्रो. १७३-२०६
८४-९
आवासग
श्रावस्सगस्स श्राव. श्रवस्ति प्रो. २३०-२११ प्रवस्यिं च श्राव. ६६१-६६ आवस्सियं च प्राव. ६६२-६६ श्रावस्सिया उ श्राव. ६६४-६६ प्रो. २१६-२१० प्रवासगं हु प्रो. ३८-२४६ प्रवासगं तु प्रव. १३८२ - १५५ आवाय चिलि प्रो. १६६ - २०८ प्रावायदोस प्रो. ३०८-२१९ श्रावासयं प्रो. २२०-२१० श्रावासियं च
श्राव. १३७२-१५४
श्रावीचि श्रोहि
उत्त २११-३८५ आसन्नाउ श्री. ४१६-२२८ श्रीसमपयंमि श्राव. २३१-२३ आसाढपुष्णि दशा. ६३-४०२
[ ५०५
श्राद्यांश ग्रन्थ- गाथांक पृष्ठ
प्रो. २८५-२१६
.
आसाढबहुल आसाढी इंद
आव. १३५२ - १५२
साढे मासे प्रो. २८३-२१६
श्रसायणावि
श्रासावरणाविश्रो
दशा. १५-४७७ आसा हत्थी व २०१-२१ प्राक्कार श्राव. ३१-१३४ प्रसु खुहं प्राव. १६०२ - १८५ आसूय पि ४०५-३०३ आसंदिपीढ पि. ३६१-२६६
श्राव. ७१४-७१
सेवणाय सू. १२६-४६८
ग्रह जह प्राव. १५६५ - १८५ ग्रहणणाई श्रो. ३०६-२१८
श्राहा अहे य
पि. ६५-२७४
श्राहा अहे य
पि. १२६-२७७
पि. १२६-२७७
ग्राहाकड श्रहाकम्मनिमं पि. १८२- २८२
हाकम्मद्दारं पि. २१८-२८६
पि. १८१ - २८२
आहाकम्मग्गहणे
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