Book Title: Niryukti Sangraha
Author(s): Bhadrabahuswami, Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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४६८ ]
[ नियुक्तिसंग्रहः
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प्राद्यांश ग्रन्थ गाथांक पृष्ठं अलाभरोग प्राव. २-१४३ अलियमुव प्राव. ८८१-१७ अलोअंमि प्राव. १४१५-१५८ अलोए पडि प्राव. ६५९-६४ अव्वकालि प्रो. ३७२-२२४ अव्वक्खित्ता प्रो. ५१५-२३८ प्रवरगामा प्रा. १२१७-१२० प्रवणेइ दश. ३१८-३५९ प्रवत्तमपह प्रो. ४६७-२३३ अवयाली उत्त. ४६०-४१२ प्रवरज्ज़ प्राव.६१-१३७ प्रवरद्धिग ओ. ३४१-२२२ अवरद्धिग पि. १४-२६७ अवरविदेहे प्राव. १५३-१६ प्रवराहमि दशा. १३-४७७ अवरोप्पर प्रो. ३२४-२९५ अव (आ) लोन
प्राव. १५२८-१७० प्रवयास पि. ५८१-३१९ अवहंत दशा. १०३-४८६ अव्वाबाहं प्राव. १२३७-१२३ अविश्न जणो प्रो. ५०-१९५ अवि नाम पि. ४५१-३०७ अविभमर दश. १२४-३३९ अवियह सू. १६०-४७१
प्राद्यांश ग्रन्थ-गाथांक पृष्ठ अविरय उत्त. २२१-३८५ अविलाक पि. १६४-२८३ अविसिट प्रो. ५१-१६५ अविसुद्ध उत्त. ५४१-४१७ अविसुद्धो पि. ५३०-३१४ अविहिपुच्छा प्रो. ६४-१६६ अविहीपुच्छा प्रो. १६७-२०५ प्रवीय हु पि. ७६-३०० अव्वोच्छिन्ना प्रो. ३२२-२२० असई गिहि प्रो. ३६-१९३ असई मज्झिम प्रो. २०-१९२ असई य निय प्रो. ५५५-२४१ असई य चिलि प्रो. ३४-२१२ असई लाभे प्रो. १८-२५६ अस कीस दश. ११२-३३८ असणाईण पि. १७०-२८१ असणं पाणगं प्रा. १६०१-१८५ असणं पाणगं
प्रा. १६०५-१८६ असमणुन्न प्राचा. २५३-४४५ असमाहि दशा. ७-४७६ असहाइ प्राव. १०१३-६६ असज्झाइय
प्राव. १३३५-१५१
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