Book Title: Niryukti Sangraha
Author(s): Bhadrabahuswami, Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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गाथानां अकारादिक्रमः ]
[ ५०१
प्राद्यांश ग्रन्थ-गाथांक पृष्ठं आद्यांश ग्रन्थ-गाथांक पृष्ठं अहस्ससच्चे आव. २-१४३ अंतो मुहुत्त सू. १७६-४७३ अहसव्वदव्व प्राव. ७७-८
. मुहत्त प्रह सा सत्था
प्राव. १४७७-१६४ उत्त. ४३४-४०७
,, साइप्रायो अह होइ भाव प्रो.५४४-२४०
प्राचा. ४५-४२४ अय होइ लेव ओ ३७१-२२४ अंबग्ग प्राचा. २२-४२२ अहि सरिया प्राव. ८७३-८५ अंबरस य आव. ११३०-११२ अंग दसभाग उत्त. १५६-३७६ अंबरस य प्रो. ७७०-२६१ अंगप्पभवा उत्त. ४-३६५ अंबे अंबरिसी प्राव. ११-१४० अंगारघुवियाई
अंबे अंबरिसी स. ६६-४६१ पि, ५६०-३१७ प्राउ विवाग दशा. २-४७६ अंगारत्तमपत्तं
प्राइगरु प्राव. ४२४-४४ . पि. ६५६-३२६ । पाइदुवे प्रो. ४८६-२३५ अंगाणं कि प्राचा. १६-४२१ पाइन्नपिसिय अंगुट्ठपए प्रो. ३६०-२२६
प्राव. १४१३-१५८ अंगुटगुट्टि
पाइन्नमणा पि. ३२९-२९६ प्राव. १५६२-१८४
प्राइमकाउ अंगुलभाव प्राव. ३२-४
आव. १५१६-१६९ अंगुलं सत्त प्रो. २८४-२१६ आइमझ दश. २-३२८ अंतगय सू. ७१-४६२ आउक्कामो पि. १६-२६७ अंतरपल्ली प्रो. ५३-२१३ पाउज्जकट्ठ प्राचा. १४७-४३४ अंतंतं प्रो. ५७१-२४३ आउज्जनट्ट अंतो बहिं व .
आव. ११५८-११५ प्राव. १३६८-१५४ पाउट्टिम दश. १६७-३४३ अंतो बहि व
पाउट्टिमूल प्राव. ८-१४२ आव. १३६६-१५३ पाउट्टिया पाव. १४२५-१५६
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