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गुजराती कृति
विभावपर्याय—–जीव पुद्गलमैं छै। अने छ पर्याय बीजा कहै छै -
अनादिनित्य पर्याय——–मेरुप्रमुख (१)।
सादिनित्य पर्याय—सिद्धपणो (२) ।
अनित्य पर्याय—समय समयमें छ द्रव्य ऊपजै विणसै छै (३)। अशुद्धअनित्य पर्याय—जन्ममरण थाय छै (४)।
उपाधिपर्याय—कर्मसंबंध (५)।
शुद्ध पर्याय जे मूलपर्याय सर्वद्रव्यना एक सरीखा छै (६)।
ए पर्यायार्थिकनो स्वरूप कह्यो ।
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हिवै सात नय कहै छै— नैगम नय ( १ ) संग्रह नय ( २ ) विवहार नय ( ३ ) रिजूसूत्र नय ( ४ ) शब्द नय (५) समभिरूढ नय(६) एवंभूत नय (७) ए सात नयना नांम जांणवा।
हिवै पहिलो नैगम नय कहै छै— नही छै एक गमो ते नैगम। एक अंस गुण ऊपनो हुवै तेणे वस्तुपणो मांनै ते नैगमनय कहीजै। अत्र दृष्टांत – जिम किणही मनुष्यने पाइली' ल्यावण मन थयो । तिवारै वनमें काठ लेण चाल्यौ। सुमुहो' कोई मनुष्य मिल्यो –तुं किहां जाय छै ? इम पूछ्यौ । तिवारै तिन कह्यो — जे पाइली लेवा जाउं छु। तो इणै पाइली तो घडी नथी पिण मनमें चिंतवी ते थई गिणी । ए सर्व संसारी जीवने सिद्ध समान कहै छै । जे सर्व जीवना आठ प्रदेस निर्मला सिद्धरूप छै । तिणे एकें अंसे सिद्ध छै। ते कारण सिद्ध समान कह्या । ते नैगम नयना त्रिण भेद छै । वर्तमान अतीत आरोपण नैगम ( १ ) वर्तमान अनागत आरोपण नैगम (२) वर्तमान नैगम (३) अतीत नैगम केहने कहीयै? जे वीरनो निर्वाण आज थस्यै। ए अतीत नैगम। अनागत नैगम केहने कहीयै? जे पद्मप्रभुनो निर्वाण आज थस्यै ए अनागत नैगम। एतलै नैगम नय कह्यौ।
हिवै संग्रहनय कहै छै। सत्ता ग्रहे ते संग्रह। जे कारणै एक नाम लीधां सर्व गुण, पर्याय परिवार सहित आवै ते संग्रह नय जाणिवो। अत्र दृष्टांत कहै छै । जे कारणे किणही मनुष्य परभात दांतणनी विरियां धरवा (बा) रणे आय आपणे चाकरसुं कहै—जे दांतण ल्यावो । तिवारै ते दास लोटी, पांणी, रुमाल, दांतण सर्व ले आवै । ते दांतण क नाम ले मंगाव्यो पिण सर्वनो संग्रह थयो तिंम द्रव्य एहवो नांम कह्यो द्रव्यना गुण, पर्याय सर्व आवै। ते संग्रह नयना बे भेद छै। एक सामान्य संग्रह(१) जे द्रव्यपणो सामान्य लेतां जीव अजीवनो भेद न पड्यो अनै बीजो विशेष संग्रह (२) विशेषता अंगीकार करै छै जे जीव द्रव्य इम कह्यां अजीव सर्व टल गया ए संग्रह नय कह्यो ।
हिवै विवहारनय कहै छै। विवहरण कहतां बाह्य स्वरूप देखीनें भेद विहचै जे बाहिर दीसता गुण देखै ते मांने अंतरंग सत्ता न मानै एतलै ए नय में आचार क्रिया मुदै छै । अंतरंग परिणामनो उपयोग नथी । जे कारण नैगम, संग्रह ज्ञानरूप धांनना परिणाम विना अंस तथा सत्ताग्राही छै तिम इहां करणी मुख्य छै। ते विवहार नयपणें जीवनी
१.
धान्यमाप
२. सन्मुख - सामे