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श्री सिद्ध भगवंतना गुणोनो विचार ||
॥ श्री सिद्ध भगवंतना गुणोनो विचार.
(५७)
जो के कर्मक्षयना योगे सिद्ध परमात्माना अनन्त गुणो प्रकाशित थयेला छे, तो पण महापुरुषोए ध्यान करवाने माटे एकत्रीश गुणोनो अथवा पंदर भेदे सिद्धता होवाथी पंदर भेदोना जाप विगेरे विधि अन्य तप विगेरेमां आवे छे, तो पण काहीं आठ कर्ममलथी लेपायेल आत्मा ते कर्मना क्षयथी कया कया गुणने प्राप्त करे छे तथा आत्मानुं निर्लिप्त दशानुं स्वरूप केतुं होय ते विगेरे ध्यान करवा तथा आत्माने ते ध्यानमां लीन करवा आठ कर्मक्षयथी ऊपजेल आठ गुणोनुं ग्रहण कराय छे.
॥ सिद्धपदना ८ गुणो ॥
एक एक कर्मना क्षय थकी, नीपन्यो गुण एक एक । आठ गुणे इम प्रणमीये, सिद्ध प्रभु सुविवेक ॥ १॥