Book Title: Navpadmay Siddhachakra Aradhan Vidhi
Author(s): Vijayodaysuri
Publisher: Maneklalbhai Mansukhbhai

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Page 407
________________ (३९२) नवपद विधि विगेर संग्रह ॥ भावार्थ-पर्व दिवसने विषे पोसह व्रत करय, दान, शील, तप अने भावना, स्वाध्याय, नमस्कार अने परोपकार करय, तथा जयणा राख्य. २. जिणपूआ जिणथुणणं, गुरुथुअ साहम्मिआण वच्छवं ॥ ववहारस्स य सुद्धा, रहजत्ता तित्थजत्ताय ॥३॥ भावार्थ-जिनेश्वर भगवान्नी पूजा, जिनेश्वर भगवाननी स्तुति, गुरुनी स्तुति, अने साधर्मीने विषे वात्सल्य, व्यवहारनी शुद्धि, रथयात्रा अने तीर्थयात्रा. ३. उवसम विवेगसंवर, भासासमिइ छजीवकरुणा य॥ धम्मिअजणसंसग्गो, करणदमो चरणपरिणामो ॥४॥ भावार्थ-उपशम, विवेक संवर, भाषासमिति अने छकाय जीवनी दया, धार्मिक माणसनो सत्संग, इंद्रियोनुं दमन अने चारिबना परिणाम राखवा (आ सर्व क्रियाओ करवी.) ४. संघोवरि बहुमाणो, पुत्थयलिहणं पभावणा तित्थे ॥ सवाण किच्चमेअं, निच्चं सुगुरुवएसेणं ॥५॥ भावार्थ-श्री संघ उपर बहुमान राखवू, पुस्तक लखाववां अने तीर्थनी प्रभावना करवी. श्रावकनां आ कृत्यो छे, ते निरंतर सद्गुरुना उपदेशथी जाणवां. ५ इति. इति श्रावक दिनकृत्य सज्झाय.

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