Book Title: Navpadmay Siddhachakra Aradhan Vidhi
Author(s): Vijayodaysuri
Publisher: Maneklalbhai Mansukhbhai
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: पोरिसी विधि सूत्र ॥ (३९५) अर्थ-चार मने मंगळरूप छे-अरिहंतो मांगलिक छे, सिद्धो मांगलिक छे, साधुओ मांगलिक छे अने केवळीए प्ररूपेल धर्म [श्रुत अने चारित्ररूप] मांगलिक छे. ५.
चत्तारि लोगुत्तमा-अरिहंता लोगुत्तमा, सिद्धा लोगुत्तमा,साहू लोगुत्तमा, केवलिपन्नत्तो धम्मो लोगुत्तमो॥
अर्थ-चार लोकने विषे उत्तम छे-अरिहंतो लोकमां उत्तम छे, सिद्धो लोकोमा उत्तम छे. साधुओ लोकमां उत्तम छे अने केवलिए प्ररुपेल धर्म लोकमां उत्तम छे. ६
चत्तारि सरणं पवज्जामि-अरिहंते सरणं पवज्जामि, सिके सरणं पवज्जामि, साहू सरणं पवज्जामि, केवलिपण्णत्तं धम्म सरणं पवज्जामि ॥७॥
अर्थ-हुंचारने शरण तरीके अंगीकार करुं छं-अरिहंतोने शरण अंगीकार करूं छु, सिद्धोने शरण अंगीकार करुं छु. साधु. ओने शरण अंगीकार करुं हुं अने केवलिए प्ररूपेल धर्मने शरण अंगीकार करुं छं. ७... , पाणाइवायमलिअं, चोरिक्कं मेहूणं दविणमुझं । कोहं माणं मायं, लोभं पिज्जं तहा दोसं ॥८॥

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