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नवपद विधि विगेरे संग्रह ॥ प्रथम अक्षरो लइ 'असिआउसा' ए पदे महापुरुषो ते मनोज जाप करे छे, इत्यादि अनेक स्वरूपमय आ पंचपरमेष्ठिमां जो के सिद्धभगवान् सकल कमथी मुक्त थयेला अने सर्वकृतार्थ छे, तथा वर्त्तमानमां अर्हस्वरूपने पण जणावनार श्री आचार्य भगवंत विगेरे महान् उपकारक होवा छतां पण सर्व प्रथम मुक्तिमार्गने देखाडनार, सिद्ध आदिना स्वरूपने पण ओळखावनार, चतुर्विधसंघ तथा प्रवचनस्वरूप तीर्थना प्रवर्त्तावनार निरपेक्षपणे धर्म बतावनार जेमणे उपदेशेल अर्थ स्वरूप त्रिपदीने पामी श्रीगणधर भगवंतो गुंथेला सूत्र तथा तेना आलंबनथी महापुरुषोए रवेला ग्रन्थोनी अपेक्षा राखी श्री आचार्यादि बीजाओने उपदेश विगेरे आपे छे विगेरे अनेक कारणोथी प्रथम श्री अरिहंत पद ग्रहण कर्तुं छे, पछी सर्वकृतार्थ होवाथी श्रीसिद्धभगवंतने बीजे स्थाने ग्रहण कर्या छे, श्री अरिहंत प्रभु आदिना अभावमां मुक्तिमार्ग आदिना देखाडनार श्री आचार्य भगवंतज छे, इत्यादि हेतुथी शासनना स्तंभ आचार्य भगवंत त्रीजे स्थाने