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सिद्धचक्राराधन भाहात्मय ॥
( १८५ ) कहे छे हे राजन् ? (श्रेणिक) श्री अरिहंत पदना आराधनना प्रसादथी देवपाल नामना शेठना नोकरे राज्य मेळव्युं, अने कार्तिकशेठे शकइन्द्रपणं प्राप्त कर्यु.
|| श्री सिद्धपद माहात्म्य. ॥
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सिद्धपयं झायंता, के के सिवसंपयं न संपत्ता | सिरिपुंडरीय पंडव - पउममुनिंदाइणो लोए ॥२॥
श्री सिद्धभगवंतनुं ध्यान करता मुनिओमां अग्रेसर श्री पुंडरीक गणधर भगवान् पांचे पांडवो तथा पद्म मुनि विगेरे कोण कोण मुक्तिसंपत्ति पाम्या नथी ? अर्थात् अनेक जीवो सिद्धिपद पाम्या छे. २
॥ श्री आचार्यपद माहात्म्य. ॥
नाहियवाय समजिय--पावभरो वि हु पएसिनरनाहो । जं पावइ सुररिद्धिं, आयरियप्पयप्पसाओ सो ॥३॥ ( प्रथम ) नास्तिक मतथी घगोज एकठो कर्यो