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श्री तपः पदाराधन नवम दिवसनो विधि. श्री तपसाहात्म्य तथा तेना भेदगुणोनो विचार
समता सहित करवामां आवतुं तप यावत् निकाचित कर्मो पण क्षय करवामां समर्थ छे, चारज्ञान युक्त श्री तीर्थंकर देवो के जेमना चरणनी उपासनामां इन्द्रो पण तल्लीन रहे छे. पोतानी तेज भवमां मुक्ति छे तेम जाणी रह्या छे छतां पण तेओ कर्मनिर्जराना साधनभूत तपनी आराधनामां उद्युक्त रहे छे, तपथी देवताओ पण वश थाय छे, तपथी अनेक व्याधिओ पण मटे छे, ग्रह पीडा विगेरे पण निवृत्ति पामे छे, उपसर्ग अने विघ्नोनो नाश थाय छे. सर्वमंगल भेदोमां महान् मंगल छे. इन्द्रियोनुं दमन थाय छे. अने इष्ट कार्यों सिद्ध थाय छे, आयंबिल तपना प्रभावें